सड़क दुर्घटनाओं में कम करने है मौत के आंकड़े तो हेलमेट से GST हटाए सरकार: IRF

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में भारत भर में 480,652 सड़क दुर्घटनाओं में से कुल 151,113 लोग मारे गए, औसतन हर रोज 414 लोग या हर घंटे 17 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. इन सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों में से तकरीबन 31.4 फीसदी दोपहिया वाहन चालक रहे हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:34 AM IST

GST On Helmet: देश में सड़क हादसों में होने वाली मौतों के आंकड़ों पर लगाम लगाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है, लेकिन बावजूद इसके लोगों की जान बचाने वाले सबसे महत्वपूर्ण राइडिंग गियर में से एक हेलमेट पर भारी जीएसटी (GST) लगी हुई है. इसी मामले में ग्लोबल रोड सेफ्टी बॉडी इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (IRF) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से हेलमेट पर लगाए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को वापस लेने का आग्रह किया है. 

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इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (IRF) के अध्यक्ष एमेरिटस के. के. कपिला ने वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि, सड़क दुर्घटना एक वैश्विक खतरा है और दुनिया भर में होने वाले कुल सड़क हादसों में अकेले भारत से तकरीबन 11 प्रतिशत मामले आते हैं. उन्होंने कहा, "सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को 50 प्रतिशत कम करने के लिए, 2030 के अंत से पहले, हेलमेट पर कोई जीएसटी नहीं होना चाहिए." 

हेलमेट पर कितना है GST का बोझ: 

मौजूदा समय में हेलमेट पर जीएसटी की लागू दर 18 प्रतिशत है। फेडरेशन की मांग है कि ये एक जीवन रक्षक एक्सेसरीज़ है और इस पर लागू जीएसटी को हटा देना चाहिए है. जाहिर है कि, इसके पीछे फेडरेशन की मंशा यही है कि, लोग कम खर्च में उच्च गुणवत्ता वाले हेलमेट खरीद सकें और ज्यादा से ज्यादा इसका इस्तेमाल करें, ताकि सड़क हादसों के दौरान होने वाली मौत के आंकड़ों पर लगाम लगाई जा सके. 

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कपिला ने कहा, "यह न केवल दोपहिया सवारों की सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने में मदद करेगा बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाले GDP के नुकसान को कम करने में भी मदद करेगा."

क्या कहते हैं आंकड़े: 

आंकड़े मोटे तौर पर बताते हैं कि हर साल लगभग 5,00,000 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप 1,50,000 से अधिक मौतें और 5,00,000 से अधिक लोग घायल होते हैं. इनमें से कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें घायल व्यक्ति के अंग भंग भी हो जाते हैं. इन दुर्घटनाओं में शामिल ज्यादातर लोगों की उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच होती है, जो कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोग होते हैं. 

कपिला ने कहा कि, हमारा देश पहले से ही सड़क दुर्घटनाओं, चोटों और मौतों के बढ़ते बोझ का सामना कर रहा है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के परिवहन अनुसंधान विंग की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में भारत भर में 480,652 सड़क दुर्घटनाओं में से कुल 151,113 लोग मारे गए, औसतन हर रोज 414 लोग या हर घंटे 17 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इतना ही नहीं, सड़क हादसों में हुई कुल मौतों में से 31.4 फीसदी दोपहिया वाहन चालक रहे हैं।

 

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