ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन तेजी से लोकप्रिय होता हुआ व्यवसाय उभर कर सामने आया है. इस व्यवसाय में कम लागत में अच्छा मुनाफा मिलता है. हालांकि इस व्यवसाय में सावधानी ज्यादा रखनी होती है. मुर्गियों में होने वाली बीमारियां मुर्गी पालन के व्यवसाय में प्रमुख समस्याओं में से एक है. इनमें कई बीमारियां ऐसी हैं जो पोल्ट्री फार्म भी बंद करा सकती हैं. आइए इन रोगों के बारे में जानते हैं.
रानीखेत- मुर्गियों में होने वाला यह सबसे खतरनाक संक्रमण हैं. इसमें उन्हें तेज़ बुखार, सांस लेने में दिक्कत, अंडों के उत्पादन में कमी के साथ मुर्गियां हरे रंग की बीट करती हैं. कभी-कभी उनके पंख और पैरों को लकवा मार जाता है, एक ही दिन में कई मुर्गियां मर जाती हैं.
बर्ड फ्लू- यह मुर्गियों और दूसरे पक्षियों में होने वाली एक घातक बीमारी है. संक्रमित मुर्गी की नाक और आंखों से निकलने वाले स्राव, लार और बीट में वायरस होता है. इसमें मुर्गी के सिर और गर्दन में सूजन आना, अचानक अंडे देने की क्षमता कम होना, खाना-पीना बंद करना और ये तेज़ी से मरने भी लगती हैं.
फाउल पॉक्स- इस बीमारी में मुर्गियों में छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं. ये भी एक वायरस जनित रोग है, जिसका संक्रमण तेज़ी से फैलता है.
मैरेक्स- यह मुर्गियों में होने वाले किसी कैंसर की तरह है. मुर्गियों के बाहरी और अंदरूनी अंग बुरी तरह से प्रभावित होते हैं. इसमें मुर्गियों के पैरों, गर्दन और पंखों को लकवा मारना, आहार में कमी, सांस लेने में परेशानी, मुर्गियां लंगड़ाने लगती हैं, अंदरूनी अंगों में ट्यूमर तक होने लगते हैं.
गम्बोरो- ये बीमारी चूज़ों को ज़्यादा होती है. जो संक्रमण रोग है, करीब 2 से 15 हफ्ते की मुर्गियों में संक्रमण देखा जा सकता है.