देश में पोल्ट्री फार्मिंग कारोबार बेहद तेजी से फल-फूल रहा है. इसी के साथ मीट का व्यवसाय भी आगे बढ़ रहा है. ग्रामीण इलाकों में मुर्गे के मांस के व्यापार से जुड़कर किसान बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. हालांकि, कई किसान इस व्यवसाय को अपनाने के बाद नुकसान हो जाने की शिकायत करते नजर आते हैं. मुर्गे की सही नस्ल का चुनाव नहीं करने की वजह से उन्हें नुकसान होता है.
कड़कनाथ मुर्गे का करें पालन
अगर मीट के व्यवसाय को बूस्ट करना है तो किसान कड़कनाथ मुर्गे का पालन कर सकते हैं. यह नस्ल मध्य प्रदेश में पाई जाती है. इसके मीट में प्रोटीन 25 प्रतिशत तक पाया जाता है. साथ ही इसके मांस का उपयोग कई तरह की दवाएं बनाने में भी किया जाता है. यह मुर्गा मार्केट में 3 से 4 हजार रुपये में बिकता है. इसका पालन कर किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
असील मुर्गे का नस्ल भी मीट के कारोबार को करेगा बूस्ट
असील मुर्गे का नस्ल भी मीट का कारोबार बूस्ट कर सकता है. यह नस्ल उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में बड़े पैमाने पर पाई जाती है.इस नस्ल का चिकन बहुत अच्छा होता है. प्रोटीन के मामले में ये मुर्गा भी कड़कनाथ से कम नहीं है. हालांकि, इन मुर्गों का व्यवहार काफी झगड़ालू होता है. इनका उपयोग मुर्गों को मैदान में लड़ाने में होता है. इन मुर्गों का वजन 4-5 किलोग्राम तक होता है.
वनराजा मुर्गे का देगा बढ़िया मुनाफा
वनराजा मुर्गे का पालन पोल्ट्री व्यवपारियों को बढ़िया मुनाफा दे सकता है. मीट व्यवसायियों के बीच ये नस्ल काफी प्रसिद्ध है. इसका मीट व्यवसायियों को काफी मुनाफा देता है. इस नस्ल के मुर्गे का पालन कर व्यवसायी बेहद कम वक्त में अमीर बन सकते हैं.