लेमनग्रास एक औषधीय पौधा है. इसकी पत्तियों और तेल से दवाईयां बनाई जाती हैं. लेमनग्रास की पहचान यह है कि इसकी पत्तियों को हाथ में लेकर मसलने पर नींबू जैसी महक आती है. इसकी सूखी पत्तियों से बनने वाले पाउडर से हर्बल चाय बनाई जा सकती है. इसके अलावा इसका उपयोग मच्छर भगाने में भी किया जा सकता है.
इन कामों में आता है लेमनग्रास
लेमनग्रास के पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल परफ्यूम, साबुन, निरमा, डिटर्जेंट, तेल, हेयर आयल, मच्छर लोशन, सिरदर्द की दवा व कास्मेटिक बनाने में भी प्रयोग किया जाता है. इन प्रोडक्ट्स में से जो महक आती है वह इस पौधे से निकलने वाले तेल की होती है. हालांकि, ज्यादातर लोग इस पौधे को लेमन टी की वजह से जानते हैं. इसकी खेती आजकल किसानों के लिए वरदान बनती जा रही है. भारत हर वर्ष करीब 700 टन नींबू घास के तेल का उत्पादन करता है. इसे बाहर विदेशों में भी भेजा जाता है. ऐसे में कई विदेशी कंपनियां में भी तेल की उच्च गुणवत्ता की वजह से इसकी काफी मांग है. जिसका सीधा असर किसानों के आमदनी के इजाफे के रूप में होगा.
घर में गमले में भी लगाएं लेमन ग्रास
घर में गमले या ग्रो बैग की मिट्टी में लेमनग्रास को किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है. गोबर की खाद और लकड़ी की राख और 8-9 सिंचाई में ये पौधा तैयार होकर लहलहाने लगता है. इस फसल की जो सबसे खास बात एक तो ये है कि इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं लगती. दूसरा इसे लगाने के बाद 7-8 साल तक इसकी दोबारा रोपाई से छुटकारा पा जाएंगे और हर साल 5 से 6 कटाई संभव है.
यदि आप लेमनग्रास के पौधे लगा रहे हैं तो ऐसे गमले या ग्रो बैग का चयन करें जिसमें अतिरिक्त जल निकासी की उचित व्यवस्था हो. आप लेमनग्रास के पौधे को गमले या ग्रो बैग में उगाने के लिए रेतीली दोमट मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं. इसे 60% मिट्टी, 20% कम्पोस्ट खाद और 20% रेत का उपयोग करके घर पर बनाया जा सकता है. पौधों की अच्छी देखभाल करते हुए आपको लेमनग्रास के पौधे लगभग 60-80 दिनों के बाद काटने को मिल सकते हैं.