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श्रीलंका की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बर्खास्त

श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने देश की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश शीरानी भंडारनायके को 13 जनवरी को बर्खास्त कर दिया.

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श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने देश की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश शीरानी भंडारनायके को रविवार को बर्खास्त कर दिया.

न्यायमूर्ति भंडारनायके की बर्खास्तगी के पहले राजपक्षे ने संसद द्वारा उनके खिलाफ चलाए गए महाभियोग को मंजूर कर लिया. वकीलों और अन्य लोगों के व्यापक विरोध के बावजूद चलाए गए महाभियोग में भंडारनायके को भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया था.

54 वर्षीय भंडारनायके को पद छोड़ने के लिए नोटिस भेज दिया गया है. दो दिन पहले ही संसद ने उन पर महाभियोग चलाने के पक्ष में मतदान किया था जिसके बाद न्यायपालिका और सरकार के बीच मतभेद गहरे हो गए थे.

अधिकारियों को स्थानीय मीडिया ने यह कहते हुए उद्धृत किया है ‘प्रधान न्यायाधीश को यह बताने के लिए नोटिस भेज दिया गया है कि उन्हें पद से हटाया जा रहा है.’ इससे पहले अदालतों ने बंडारनायके के खिलाफ महाभियोग चलाए जाने को असंवैधानिक बताया था और उन्हें दोषी ठहराने वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था.

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विभिन्न अधिकार समूहों, नागरिकों, वकीलों आदि ने सरकार से प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग नहीं चलाने के लिए कहा था. संसदीय समिति ने आठ दिसंबर 2012 को कहा था कि भंडारनायके के खिलाफ सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों ने महाभियोग प्रस्ताव पेश कर 14 आरोप लगाए थे जिनमें से तीन में उन्हें दोषी पाया गया. तीनों आरोप संपत्ति की घोषणा न करने के आधार पर वित्तीय अनियमितताओं तथा एक असफल कंपनी के मामले में हितों के टकराव के थे.

भंडारनायके ने खुद पर लगाए गए आरोपों को गलत बताया है. छह दिसंबर को वह संसद में चल रही महाभियोग की सुनवाई से यह कहते हुए चली गईं थीं कि सुनवाई निष्पक्ष नहीं होगी.

उन्होंने यह दावा भी किया कि संसदीय समिति में मौजूद सरकार के सदस्यों ने उन्हें अपशब्द कहे शुक्रवार को संसद ने भंडारनायके को बर्खास्त करने के लिए 155 मत दिए और विरोध में 49 मत पड़े. भंडारनायके के हालिया फैसले सरकार के खिलाफ गए थे.

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