चीन के तिआनजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन 2025 के रात्रिभोज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को नज़रअंदाज़ किया. एक ही हॉल में मौजूदगी के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने शहबाज शरीफ से दूरी बनाए रखी. भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद और बातचीत साफ साफ नहीं चलेगी. यह नाराजगी और रुख एससीओ के इस रात्रिभोज में भी नजर आया. सामने आई तस्वीरों और वीडियो में दोनों नेता एक ही कमरे में होने के बावजूद दूर खड़े दिखे.
तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीछे से खड़े नजर आते हैं. प्रधानमंत्री मोदी जहां मेहमानों से मुलाकात कर रहे थे, वहीं दूर शहबाज शरीफ भी नजर आए. दोनों एक-दूसरे की तरफ पीठ किए हुए खड़े थे. पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला मौका था जब दोनों नेता एक साथ किसी शिखर बैठक में पहुंचे थे. रिश्तों की तल्खी और तनाव साफ तौर पर दिखाई दिया.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस समय की संवेदनशीलता के मुताबिक किसी संवाद या मेल-मुलाकात की कोई गुंजाइश नहीं थी. कल भी दोनों नेता एक साथ होंगे और एक ही टेबल पर एससीओ की बैठक में शामिल होंगे, लेकिन दोनों नेताओं के बीच किसी तरीके की बातचीत या दोनों ही पक्षों के बीच किसी री-प्रोचमेंट का कोई प्रयास नहीं होगा.
भारत ने इस रुख से साफ कर दिया है कि आतंकवाद को लेकर कोई समझौता या राजनयिक नरमी स्वीकार्य नहीं है. इस स्थिति में दोनों देशों के बीच तनाव कायम रहने की संभावना बनी हुई है.
चीन में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात: आतंकवाद, सीमा शांति और व्यापार पर चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात हुई. बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, आर्थिक विकास, और व्यापार संतुलन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की.
विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिनपिंग से सीमापार आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की और इसके खिलाफ दोनों देशों के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता को रेखांकित किया.
बैठक में दोनों नेताओं ने यह भी जोर दिया कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए जरूरी है. उन्होंने पिछले वर्ष हुए सफल डिसइंगेजमेंट और वर्तमान में शांति बनाए रखने के तंत्रों का उल्लेख किया.
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आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर भी विचार-विमर्श हुआ. प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए भारत-चीन आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई.
इस मुलाकात का उद्देश्य केवल आर्थिक सुधार ही नहीं, बल्कि सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने जैसे व्यापक क्षेत्रों में सहयोग सुनिश्चित करना भी रहा.