पाकिस्तान की एक अदालत ने ईश निंदा के आरोप में एक शख्स को मौत की सजा सुनाई है. उस पर पैगंबर मुहमम्द के अपमान का आरोप है.
मंगलवार को वहां की एक अदालत ने 50 वर्षीय ज़ुल्फिकार अली को वहां के विवादास्पद कानून के तहत यह सजा सुनाई. पाकिस्तान में इस्लाम के अपमान पर कठोर सजा का प्रावधान है और इसमें सजा-ए-मौत भी है.
मानव अधिकार एक्टिविस्ट का कहना है कि इस कानून का दुरुपयोग करके आपसी रंजिश का बदला चुकाया जाता है. अली को अप्रैल, 2008 में लाहौर में गिरफ्तार किया गया था. उस पर आरोप लगा था कि उसने वहां के नेहरू पार्क की दीवार पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अभद्र टिप्पणी लिखी थी.
इतना ही नहीं, उस पर यह आरोप भी लगा कि उसने बाद में अजान के दौरान भी अभद्र टिप्पणी की थी. अली को न केवल फांसी की सजा दी गई है बल्कि उस पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगा. अगर वह यह राशि नहीं चुका पाता है तो उसे फांसी के पहले एक साल तक जेल में रहना होगा. अली के वकील काशिफ बुखारी ने कहा कि उसका मुवक्किल पागल है और उसने जानबूझकर यह अपराध नहीं किया.
लेकिन जज नावीद इक़बाल ने उसे सजा सुना ही दी. अली को सजा देने के लिए उसे पागलखाने से बाहर लाया गया था. जज ने कहा कि नावीद पागल नहीं है. ईश निंदा कानून का पाकिस्तान में दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. वहां इस कानून के तहत 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है और 19 उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. इनमें ज्यादातर अल्पंख्यक ही हैं.