
भारी बारिश से आई फ्लैश फ्लड्स ने पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों को और गहरा कर दिया है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घर और पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह हो चुके हैं.
पाकिस्तान के चारों बड़े प्रांत - खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान - बाढ़ की चपेट में हैं. इनमें सबसे ज्यादा असर पख्तूनख्वा पर पड़ा, हालांकि हाल के दिनों में वहां स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है. अब प्रकृति का प्रकोप पंजाब की ओर मुड़ा है, जिसे पाकिस्तान का सबसे अहम इलाका माना जाता है.
यह भी पढ़ें: J&K में नदियां उफान पर, तनाव के बीच बाढ़ पर भारत ने पाकिस्तान को किया अलर्ट
पंजाब में सेना की यूनिट्स को छह जिलों में राहत और बचाव कार्यों के लिए लगाया गया है. हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है.
भारत से पानी छोड़े जाने का असर
पख्तूनख्वा में बाढ़ का मुख्य कारण भारी बारिश रहा, जबकि पंजाब में स्थिति बारिश और भारत की तरफ से छोड़ा गया पानी भी शामिल है. पाकिस्तान के अधिकारियों ने मंगलवार को घोषणा की कि भारत ने रावी पर बने थीन डैम और सतलुज पर बने भाखड़ा डैम के सभी गेट खोल दिए हैं.

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल के दिनों में भारत ने पाकिस्तान को दो बार फ्लड अलर्ट भेजा था. यह जानकारी हाई कमीशन के रास्ते दी गई क्योंकि आतंकवादी हमले के बाद से सिंधु जल संधि के तहत हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करना फिलहाल बंद है.
पाकिस्तान में तबाही का पैमाना
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अनुसार, 26 जून से शुरू हुई बाढ़ में अब तक 7200 से ज्यादा घर पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. 650 किलोमीटर से ज्यादा सड़कों को नुकसान पहुंचा है. 5500 से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है, जो ग्रामीण आजीविका पर बड़ा असर डाल रही है.

अब तक 1000 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. मरने वालों में 203 बच्चे शामिल हैं. अकेले खैबर में 480 मौतें और 340 घायल दर्ज किए गए हैं. पंजाब में 165 मौतें और 584 घायल हुए हैं. पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में भी 23 लोगों की जान गई है.

क्लाइमेट चेंज और पाकिस्तान की चुनौतियां
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति इसे क्लाइमेट चेंज के असर के प्रति बेहद संवेदनशील बनाती है. देश को न केवल भारी मॉनसूनी बारिश झेलनी पड़ती है, बल्कि अत्यधिक गर्मी, सूखा और तेजी से पिघलते ग्लेशियर भी चुनौती बनते जा रहे हैं. एनडीएमए का कहना है कि पाकिस्तान के लगभग आधे ग्लेशियर सामान्य से तेजी से पिघल रहे हैं.
यह भी पढ़ें: भारत ने दिखाई दरियादिली... बाढ़ को लेकर पाकिस्तान को किया अलर्ट, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार हुई बात
जम्मू-कश्मीर के जम्मू डिवीजन में भी हालात बहुत खराब हैं. फ्लैश फ्लड्स ने पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को तबाह कर दिया है और संचार व्यवस्था ठप हो गई है.
बाढ़ से बढ़ता आर्थिक बोझ
पहले से ही महंगाई और कर्ज में डूबे पाकिस्तान के लिए यह बाढ़ एक और बड़ी चुनौती है. पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, जून में फूड इन्फ्लेशन 20.3% और हेडलाइन इन्फ्लेशन 17.4% रहा.
गेहूं, चीनी और कुकिंग ऑयल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, जिससे 42.3% आबादी गरीबी रेखा से नीचे जा चुकी है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान के 82% घर हेल्दी डाइट का खर्च नहीं उठा पा रहे. औसतन, परिवार की आधी से ज्यादा आय खाने पर खर्च हो रही है.