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हाथ मिलाया, पीठ थपथपाई... ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस अंदाज में मिले PM मोदी और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन

ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्की खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में नजर आया था. इसके बाद से भारत और तुर्की के रिश्तों में खटास आ गई थी. इस बीच अब चीन में SCO समिट के दौरान पीएम मोदी और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने मुलाकात की. इसका वीडियो भी सामने आया है.

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पीएम मोदी एर्दोगन से गर्मजोशी से हाथ मिलाते और पीठ थपथपाते दिख रहे हैं. (Photo- Social Media)
पीएम मोदी एर्दोगन से गर्मजोशी से हाथ मिलाते और पीठ थपथपाते दिख रहे हैं. (Photo- Social Media)

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन की मुलाकात का एक वीडियो सामने आया है. इसमें पीएम मोदी एर्दोगन से गर्मजोशी से हाथ मिलाते और पीठ थपथपाते दिख रहे हैं. यह दृश्य खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि हाल के महीनों में भारत-तुर्की संबंध काफी तनावपूर्ण रहे हैं.

तनाव की जड़ 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी है, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. भारत ने इसके बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया. इस कार्रवाई के बाद तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया और भारत की निंदा की.

तब तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बात कर भारतीय हमलों की निंदा की और पाकिस्तान के प्रति संवेदना जताई. सूत्रों के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को न केवल 350 से अधिक ड्रोन उपलब्ध कराए, बल्कि उनके संचालन में मदद के लिए विशेषज्ञ भी भेजे. इनमें Bayraktar TB2 और YIHA ड्रोन शामिल थे, जिन्हें भारतीय मोर्चों और सप्लाई कॉन्वॉय पर आत्मघाती हमलों के लिए तैनात किया गया. इस दौरान दो तुर्की सैन्य कर्मियों की मौत भी हुई.

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चीन में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात हुई. बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, आर्थिक विकास, और व्यापार संतुलन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की.

विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिनपिंग से सीमापार आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की और इसके खिलाफ दोनों देशों के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता को रेखांकित किया.

बैठक में दोनों नेताओं ने यह भी जोर दिया कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए जरूरी है. उन्होंने पिछले वर्ष हुए सफल डिसइंगेजमेंट और वर्तमान में शांति बनाए रखने के तंत्रों का उल्लेख किया.

आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर भी विचार-विमर्श हुआ. प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए भारत-चीन आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई.

इस मुलाकात का उद्देश्य केवल आर्थिक सुधार ही नहीं, बल्कि सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने जैसे व्यापक क्षेत्रों में सहयोग सुनिश्चित करना भी रहा.

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