दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर कोरियाई शरणार्थी के बेटे मून जाए-इन की जीत के बाद टेंशन में आए अमेरिका ने कोरियाई प्रायद्वीप में अपनी रणनीति बदल दी है. उत्तर कोरिया तानाशाह किम जोंग-उन की हत्या की कोशिश कर चुकी अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने कोरिया मिशन सेंटर की स्थापना की है, ताकि वह उत्तर कोरिया के खिलाफ अपनी पूरी क्षमता और संसाधन का इस्तेमाल कर सके. दिलचस्प बात यह है कि सीआईए ने अपने इस सेंटर की कमान सबसे अनुभवी अधिकारी को दी है, ताकि उत्तर कोरिया के खिलाफ बेहतर रणनीति बनाई जा सके.
दक्षिण कोरिया में उत्तर कोरियाई शरणार्थी के बेटे मून की जीत के बाद अमेरिका का यह कदम सामने आया है, जो उत्तर कोरिया के खिलाफ अमेरिकी चिंता को दर्शाता है. दरअसल, अमेरिका हरहाल में उत्तर कोरिया को वार्ता की बेंच पर लाना चाहता है और उसके परमाणु कार्यक्रम को बंद करवाना चाहता है, लेकिन उत्तर कोरिया किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है. उत्तर कोरिया अमेरिका को चेतावनी भी दे चुका है कि अगर उसने उसको उकसाया, तो वह परमाणु हमला करेगा. इसके अलावा उत्तर कोरिया ने तानाशाह किम जोंग-उन की हत्या मामले में अमेरिका को सबक सिखाने की ठान रखी है. दरअसल, हाल ही में उत्तर कोरिया ने सीआईए पर तानाशाह किम की हत्या करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.
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यह सेंटर अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया एजेंसियों के साथ तालमेल बैठाकर अपने ऑपरेशन को अंजाम देगा. सीआईए के बेहद अनुभवी अधिकारी को कोरिया मिशन सेंटर का नया एसिस्टेंट डायरेक्टर चुना गया है.सीआईए के डायरेक्टर माइक पोम्पीयो ने बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी. इसमें कहा गया कि उत्तर कोरिया की ओर से अमेरिका और इसके सहयोगी देशों के लिए पैदा हुए खतरे से निपटने के लिए इस सेंटर की स्थापना की गई है.
ट्रंप और मून ने उत्तर कोरिया पर की चर्चा
बुधवार को दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति मून और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई. इस दौरान दोनों नेता उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम से निपटने को लेकर सहमत हुए. दक्षिण कोरिया
राष्ट्रपति के कार्यालय ने इसकी जानकारी दी. इस बीच दोनों नेताओें ने माना कि उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम मसले को सुलझाना बेहद कठिन काम है. इसके अलावा ट्रंप ने नए दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति को जल्द से जल्द
अमेरिका की यात्रा करने का आमंत्रमण दिया है.
उत्तर कोरियाई तानाशाह से मिलने की योजना में मून
सुधारवादी नेता मून ने सत्ता की कमान संभालने के बाद सबसे पहले उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मिलने की इच्छा जताई है. दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति पार्क गून हे ने उत्तर कोरिया से सारे रिश्ते खत्म कर लिए थे.
साथ ही उत्तर कोरिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. मार्च में पार्क गून-हे को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था, जिसके बाद मून जाए-इन की जीत सामने आई है. यह जीत कोरियाई प्रायद्वीप में अमेरिकी
दखल को खत्म करने की दिशा में अहम मानी जा रही है. उत्तर कोरिया से बेहतर रिश्ते बनाने के पक्षधर मून अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान की तारीफ भी कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने उत्तर कोरिया के तानाशाह
किम से मुलाकात करने की बात कही थी.
अमेरिका विरोधी पार्टी के नेता हैं मून
मून के आने के बाद से अमेरिका की टेंशन भी बढ़ गई है. शायद यही वजह रही कि उत्तर कोरिया के साथ तनाव के बीच पार्क ग्यून-हे की बर्खास्तगी के फौरन बाद अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और उपराष्ट्रपति माइक
पेंस ने दक्षिण कोरिया का दौरा किया. मून की पार्टी को अमेरिका विरोधी माना जाता है. मानवाधिकार कार्यकर्ता मून खुद अमेरिका के कड़े आलोचक हैं. ऐसे में उनके सामने दक्षिण कोरिया में अमेरिकी दखल को रोकने की भी
बड़ी चुनौती है. अमेरिका ने दक्षिण कोरिया में थाड एंटी-मिसाइल सिस्टम तैनात कर रखा है, जिसको लेकर काफी विवाद चल रहा है. मून भी इसकी आलोचना कर चुके हैं. उत्तर कोरिया की ओर से परमाणु और मिसाइल
परीक्षण करने के चलते अमेरिका के साथ तनाव भी बढ़ गया है. कोरियाई प्रायद्वीप में युद्ध के हालात बने हुए है.