मंगल के अनबूझे रहस्यों को सुलझाने के लिए भेजे गये नासा के रोवर ‘ऑपर्च्युनिटी’ ने लाल ग्रह (मंगल) की सतह पर उस चट्टान की जांच पूरी कर ली है जिसकी संरचना में पानी के कारण परिवर्तन हुआ.
दरार वाली इस चट्टान की जांच से यह प्रमाण मिलता है कि कभी लाल ग्रह पर नमी वाला वातावरण था जो जीवन के लिए जरूरी होता है. अब ऑपर्च्युनिटी नए क्षेत्र का अध्ययन शुरू करने जा रहा है जिसका नाम ‘केप यॉर्क’ रखा गया है.
मिशन के मुख्य जांचकर्ता और न्यूयार्क के इथाका स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से जुड़े स्टीव स्क्वायरेज ने कहा कि दरार वाली चट्टान ‘एस्पेरेनस’ की जांच में ऐसे सबूत मिलते हैं जो संकेत देते हैं कि कभी लाल ग्रह में नमी वाला वातावरण था जो जीवन के लिए जरूरी होता है. स्टीव स्क्वायरेज ने बताया ‘एस्पेरेनस’ इतना महत्वपूर्ण था कि इसके अध्ययन के लिए हमने कई सप्ताह लगाए.
पसाडेना स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के मिशन के इंजीनियरों ने ‘सोलेंडर प्वॉइंट’ की ओर अभियान शुरू करने के लिए इस सप्ताह की समय सीमा तय की थी. टीम की योजना है कि मंगल पर अगली सर्दियों के दौरान ऑपर्च्युनिटी सोलेंडर प्वॉइंट पर काम करे. स्टोनी ब्रूक स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के स्कॉट मैक्लेनन ने कहा ‘एस्पेरेन्स’ की खास बात यह है कि वहां न केवल मिट्टी के खनिज बनाने वाली प्रतिक्रियाओं (रिएक्शन्स) के लिए बल्कि इन प्रतिक्रियाओं के कारण अलग हुए आयनों को वहां से हटाने के लिए भी पर्याप्त पानी था. इसीलिए ऑपर्च्युनिटी यह बदलाव साफ देख सकता था.
ऑपर्च्युनिटी नौ साल से मंगल की सतह पर है और अब तक उसने जितनी भी चट्टानों का अध्ययन किया है, एस्पेरेनस उन सबसे अलग है. इसमें अल्यूमिनियम और सिलिका की बहुतायत है और कैल्सियम तथा आयरन खनिज कम हैं.