सार्क देशों के बीच संचार और संपर्क को बढ़ावा देने के लिए भारत ने दक्षिण एशिया सैटेलाइट जीसैट-9 को शुक्रवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया. इस जिओस्टेशनरी कम्युनिकेशन सैटेलाइट को इसरो ने बनाया है.
इस कामयाबी के बाद सार्क देशों के 6 राष्ट्राध्यक्षों ने एक साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दुनिया को संदेश दिया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जीसैट-9 से भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान,भूटान और मालदीव को फायदा होगा. इससे अंतरिक्ष में दक्षिण एशिया की ताकत बढ़ेगी.
जीसैट-9 को भारत की तरफ से सार्क देशों को तोहफा माना जा रहा है. साथ ही इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी के रूप में भी देखा जा रहा है. बता दें कि पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है.
I congratulate the team of scientists who worked hard for the successful launch of South Asia Satellite. We are very proud of them. @isro
— Narendra Modi (@narendramodi) May 5, 2017
Successful launch of South Asian Satellite is a historic moment. It opens up new horizons of engagement.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 5, 2017

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आठ सार्क देशों में से सात भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है. इस उपग्रह की लागत करीब 235 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है.
12 साल है जीसैट-9 की लाइफटाइम
जीसैट को चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांचिंग पैड से लांच किया गया.
इसरो ने बताया कि जीसैट-9 मिशन का
लाइफटाइम 12 साल का है.
PM मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी
मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क सैटेलाइट बनाने के लिए कहा था, जो पड़ोसी देशों
को भारत की ओर से उपहार है. साथ ही चीन के प्रभाव को क्षेत्र में कम किया जा सकेगा. बीते रविवार को मन की बात कार्यक्रम में मोदी
ने घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की ओर से कीमती उपहार होगा. मोदी ने कहा था, 'पांच मई को
भारत दक्षिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा. इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों की विकासात्मक जरुरतों को पूरा करने में इस उपग्रह
के फायदे लंबा रास्ता तय करेंगे.