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ईरान ने जर्मनी, फ्रांस और यूके से अपने राजदूत वापस बुलाए, न्यूक्लियर समझौते पर यूरोपीय देशों की आलोचना

ईरान ने जर्मनी, फ्रांस और यूके से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं. यह कदम तीनों देशों की 2015 के न्यूक्लियर समझौते (JCPOA) पर "गैरजिम्मेदार" कार्रवाई के जवाब में लिया गया. ईरान ने इसे वैश्विक व्यवस्था के लिए खतरनाक कदम बताया.

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ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई. (File Photo)
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई. (File Photo)

ईरान ने शनिवार को जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन से अपने राजदूत सलाह-मशवरे के लिए वापस बुला लिए. विदेश मंत्रालय ने इसे तीन यूरोपीय देशों की "अत्यंत गैरजिम्मेदाराना" कार्रवाई का जवाब बताया, जिन्होंने 2015 के न्यूक्लियर समझौते (JCPOA) से जुड़े विवाद समाधान तंत्र का इस्तेमाल कर यूएन सुरक्षा परिषद के पुराने प्रतिबंधों को फिर से लागू कराने का प्रयास किया.

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने शुक्रवार को पश्चिमी देशों की इस कोशिश की निंदा की और चेतावनी दी कि इससे "खतरनाक मिसाल" बनेगी और वैश्विक व्यवस्था में विश्वास कम होगा.

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रूस और चीन ने यूएन सुरक्षा परिषद में ईरान पर प्रतिबंधों को स्थगित करने के उनके मसौदा प्रस्ताव के अस्वीकृत होने पर खेद जताया, जबकि अमेरिका और यूके ने इसे आवश्यक कदम बताया.

2015 के JCPOA समझौते पर ई3 ने किया था हस्ताक्षर

ई3 देशों (जर्मनी, फ्रांस और यूके) ने 2015 के JCPOA समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर सीमाएं लगाईं और यह सुनिश्चित किया कि उसका कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हो.

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अनुमोदित इस समझौते के तहत, ईरान ने अपने यूरेनियम संवर्धन को सीमित करने और अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को यह सत्यापित करने की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए ही कार्य करता है.

ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु निरीक्षक पर लगाए थे आरोप

हालांकि, अमेरिकी और इजरायली हमलों के बाद ईरान ने आईएईए के साथ सहयोग बंद कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु निरीक्षक उसके खिलाफ पक्षपाती हैं. 28 अगस्त को E3 देशों ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 के तहत 'स्नैपबैक' तंत्र को सक्रिय किया. इसके तहत प्रतिबंध 28 सितंबर से फिर से लागू होंगे.

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