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क्या फोर्डो अंडरग्राउंड न्यूक्लियर प्लांट पर हमले के साथ शुरुआत करेगा अमेरिका? B-2 स्टील्थ बॉम्बर तैयार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा करते हुए कहा, “अब हमारा ईरान के पूरे एयरस्पेस पर नियंत्रण है.” इस बयान के बाद अटकलें तेज हो गईं कि अमेरिका ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमला कर सकता है.

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USS कार्ल विंसन विमानवाहक पोत को दक्षिण कोरिया के नौसेना बंदरगाह पर ले जाया गया (स्रोत: एपी)
USS कार्ल विंसन विमानवाहक पोत को दक्षिण कोरिया के नौसेना बंदरगाह पर ले जाया गया (स्रोत: एपी)

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपने सैन्य बलों की तैनाती तेज कर दी है. अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि इसका मकसद इजरायल को ईरानी हमलों से सुरक्षा देना और क्षेत्र में तैनात अमेरिकी जवानों की रक्षा सुनिश्चित करना है.

अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने तैनातियों की पुष्टि करते हुए कहा कि ये कदम “हमारे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने” के लिए उठाए गए हैं. पेंटागन ने अतिरिक्त फाइटर जेट्स, ईंधन भरने वाले टैंकर और युद्धपोतों को रणनीतिक जगहों पर भेजा है जो अमेरिका की गहराई से शामिल होने की संभावनाओं की ओर इशारा करता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा करते हुए कहा, “अब हमारा ईरान के पूरे एयरस्पेस पर नियंत्रण है.” इस बयान के बाद अटकलें तेज हो गईं कि अमेरिका ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमला कर सकता है.

हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि मंगलवार तक कोई भी अमेरिकी विमान ईरानी हवाई क्षेत्र में दाखिल नहीं हुआ है और सारी सैन्य गतिविधियां फिलहाल रक्षात्मक हैं जिनका उद्देश्य इजरायल की ओर बढ़ रही ईरानी मिसाइलों को रोकना है.

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F-16 से लेकर B-52 और एयरक्राफ्ट कैरियर तक: पूरा सैन्य तंत्र सक्रिय
गोपनीयता के कारण सही संख्या साझा नहीं की गई है, लेकिन जानकारी के अनुसार दर्जन भर F-16 फाइटर जेट्स को सऊदी अरब भेजा गया है. डिएगो गार्सिया में B-52 बमवर्षक तैयार हैं. जबकि B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स, जो 30,000 पाउंड के ‘बंकर बस्टर’ बम ले जाने में सक्षम हैं, तैनात नहीं किए गए हैं लेकिन रणनीतिक विकल्प के रूप में मौजूद हैं. 

 बंकर-बस्टर बम क्या होता है?
"बंकर बस्टर" एक सामान्य शब्द है, जिसका उपयोग उन बमों के लिए किया जाता है जो ज़मीन की सतह के काफी नीचे जाकर विस्फोट करते हैं. लगभग 30,000 पाउंड (13,600 किलोग्राम) वजनी यह सटीक निर्देशित बम खास तौर पर मजबूत किलेबंद बंकरों और सुरंगों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया हैय अमेरिकी वायुसेना के अनुसार, यह बम सतह से करीब 200 फीट (61 मीटर) नीचे तक घुसने की क्षमता रखता है, और एक के बाद एक बम गिराकर और भी गहराई तक प्रभाव डाला जा सकता है.

इस "Massive Ordnance Penetrator" यानी GBU-57 बम का इस्तेमाल ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर साइट को तबाह करने के लिए किया जा सकता है, जो पर्वतीय इलाकों में बेहद गहराई में स्थित है. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, “ऐसा हमला सिर्फ अमेरिका ही कर सकता है क्योंकि सिर्फ उसी के पास इसकी क्षमता और हथियार मौजूद हैं.”

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Aurora Intel नामक ओपन-सोर्स विश्लेषण समूह ने बताया कि अमेरिका ने यूरोप के कई रणनीतिक ठिकानों- इंग्लैंड, स्पेन, जर्मनी और ग्रीस में ईंधन भरने वाले विमान और फाइटर जेट्स भेजे हैं.

यूएस नेवी के जंगी जहाज ले रहे सीधे हिस्सेदारी
ईरानी मिसाइलों को रोकने में USS The Sullivans और USS Arleigh Burke जैसे विध्वंसक जहाज़ सीधे भूमिका निभा रहे हैं. USS Carl Vinson और उसका स्ट्राइक ग्रुप अरब सागर में तैनात हैं, जबकि USS Nimitz भी एक विकल्प है. USS Gerald R. Ford अगले हफ्ते यूरोपियन कमांड थिएटर की ओर रवाना होगा. हालांकि यह मिशन पहले से तय था लेकिन फिर भी इसकी मौजूदगी ट्रंप को रणनीतिक बढ़त देती है.

यह भी पढ़ें: आखिरकार ईरान के खिलाफ जंग में कूदने जा रहा अमेरिका, ट्रंप ने अटैक प्लान को दी मंजूरी

ज़मीनी बलों को भी सतर्क किया गया
वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में अमेरिका ने अपने ज़मीनी बलों की भी तैनाती बढ़ाई है. एक तीसरा नेवी डिस्ट्रॉयर पूर्वी भूमध्य सागर में पहुंच चुका है और एक और एयरक्राफ्ट कैरियर अरब सागर की ओर बढ़ रहा है.

मध्य पूर्व में अमेरिकी सैनिकों की संख्या 30,000 से बढ़कर अब करीब 40,000 हो गई है. कुछ ठिकानों पर तैनात सैनिकों के परिवारों को स्वेच्छा से हटने की अनुमति दी गई है और सभी सैन्य ठिकाने हाई अलर्ट पर हैं.

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पिछले साल अक्टूबर में भी इस क्षेत्र में तनाव के चलते अमेरिकी सैन्य उपस्थिति 43,000 तक पहुंच गई थी, जब यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने रेड सी में वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों पर हमले शुरू किए थे.
 

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