मध्य पूर्व में लंबे समय से जिस 'व्यापक युद्ध' की आशंका जताई जा रही थी, वो अब शुरू हो गई है. इजरायल पर फिलिस्तीनी संगठन हमास के 7 अक्टूबर के हमले को अब एक साल होने को हैं. इसी बीच मध्य-पूर्व में घटनाक्रम इतनी तेजी से बदले कि अब पूरा मध्य-पूर्व एक बड़े संघर्ष में प्रवेश कर चुका है. तनाव में हालिया इजाफा लेबनानी संगठन हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की इजरायली हमले में मौत से हुआ. ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह चीफ की हत्या के बाद भी इजरायल रुका नहीं बल्कि उसने लेबनान पर जमीनी आक्रमण शुरू कर दिया.
अपने प्रॉक्सी पर होते हमले देख ईरान भी टकराव में उतर आया और मंगलवार रात उसने इजरायल पर लगभग 180 मिसाइलें दागीं. मध्य-पूर्व में इतना तनाव 1967 के अरब-इजरायल युद्ध के बाद से कभी देखने को नहीं मिला है.
ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने इजरायल पर हमलों को लेकर कहा है कि ये हमला हमास चीफ इस्माइल हानिया, हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह और IRGC के कमांडर अब्बास निलफोरोशान का हत्या के जवाब में किया गया है.
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर किए गए एक पोस्ट में हमले को लेकर कहा, 'हमारी कार्रवाई तब तक के लिए समाप्त हो चुकी है, जब तक कि इजरायली सरकार हम पर आगे कोई हमला नहीं करती. अगर ऐसी स्थिति पैदा होती है तो हमारी प्रतिक्रिया अधिक मजबूत और शक्तिशाली होगी'
इधर, अमेरिका ने कहा है कि वो हर तरह से इजरायल का समर्थन करेगा. इजरायली सेना के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने कहा है कि उनका देश ईरान के हमले का जवाब देगा. हगारी ने कहा, 'हमारे पास प्लान है और हम तय समय और जगह पर कार्रवाई करेंगे.'
इजरायल का ईरान पर हमला और बढ़ाएगा तनाव
ईरान के हमले के बाद जिस तरह से इजरायल ने प्रतिक्रिया दी है उससे साफ है वो जवाबी हमला करेगा. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को धमकी देते हुए कहा है कि उसने बड़ी गलती कर दी है जिसकी कीमत उसे चुकानी होगी.
अमेरिका में इजरायल के पूर्व राजदूत, इतिहासकार और देश के सबसे आक्रामक राजनयिकों में से एक माइकल ओरेन ने कहा कि उनका देश अपने अस्तित्व बचाने के लिए युद्ध में है.
उन्होंने कहा, 'इजरायल का मानना है कि हम 7 अक्टूबर से ही क्षेत्रीय युद्ध में हैं, और यह युद्ध अब एक व्यापक युद्ध बन गया है. हम अपने राष्ट्रीय अस्तित्व के लिए युद्ध में हैं, बस... अगले कुछ हफ्तों में जीतना एक ऐसे राष्ट्र के लिए कर्तव्य है जो होलोकॉस्ट के बाद बना है.'
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि क्षेत्र में आगे क्या होता है, यह इजरायल पर निर्भर करता है, क्योंकि ईरान ने चेतावनी दी है कि आगे किसी भी हमले का जवाब दोगुनी ताकत के साथ दिया जाएगा.
ईरान ने अपनी 'प्रतिष्ठा' बचाने के लिए किया इजरायल पर हमला
तुर्की के ब्रॉडकास्टर टीआरटी वर्ल्ड से बात करते हुए पत्रकार और मध्य पूर्व विश्लेषक रामी खोरी ने कहा, 'इस समय हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि ईरान का यह हमला उसकी व्यापक हमले की प्लानिंग का हिस्सा है या नहीं. फिलहाल के लिए तो मामला थोड़ा शांत है लेकिन आप इसका अंदाजा नहीं लगा सकते कि इजरायल अगले पल क्या करने वाला है.'
वहीं, कतर विश्वविद्यालय में समकालीन इतिहास और मध्य पूर्व राजनीति के प्रोफेसर महजूब ज्वेरी ने कहना है कि ईरान ने यह हमला अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए किया है. उनका कहना है कि 'नेतन्याहू की सरकार पिछले कई महीनों से ईरान का सैन्य और राजनीतिक रूप से उत्पीड़न' कर रही है जिसके बाद अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए ईरान ने यह हमला किया है.
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि इजरायली पक्ष किसी भी तरह की कार्रवाई या प्रतिक्रिया देने से पहले इजरायल पर ईरानी हमले के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए कुछ समय लेगा. फिलहाल भविष्य को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है. इस युद्ध को रोकने के लिए कोई गंभीर प्लान नहीं है. मुझे स्थिरता की कोई संभावना नहीं दिखती है.'
उन्होंने आगे कहा, 'नेतन्याहू का राजनीतिक अस्तित्व इस युद्ध से जुड़ा हुआ है. और ईरान के लिए यह युद्ध इस्लामिक देश के रूप में अपनी छवि बचाए रखने की लड़ाई है- यह उसके अस्तित्व के लिए जरूरी है. अब दोनों पक्ष तब तक पीछे नहीं हटने वाले जब तक कि दोनों में से कोई एक हार नहीं जाता. या जब तक कि कोई देश दोनों को युद्ध रोकने के लिए राजी नहीं कर लेता.'
अमेरिका की मदद से एक साथ कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा इजरायल
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध उस युद्ध में एक इजाफा है जिसे इजरायल कई मोर्चों पर अमेरिका के सहयोग से लड़ रहा है. हर मोर्चे पर इजरायल के खिलाफ ईरान का एक प्रॉक्सी खड़ा है. ईरान ने गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हूती विद्रोहियों और इराक में सशस्त्र समूहों के साथ मिलकर इजरायल और अमेरिकी प्रभाव के खिलाफ "प्रतिरोध की धुरी" बनाई है. इन समूहों को ईरान का प्रॉक्सी कहा जाता है.
इजरायल पिछले अक्टूबर से ही गाजा में हमास के खिलाफ लड़ रहा है. गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से इजरायल और हूती विद्रोहियों के बीच लगातार झड़प की खबरें आती रही हैं. हिज्बुल्लाह के साथ भी इजरायल महीनों से लड़ रहा है.
कुछ दिनों पहले लेबनान की राजधानी बेरूत समेत कई जगहों पर संदेश पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पेजर में धमाके हुए जिसमें कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई. अलग-अलग जगहों पर 5,000 पेजर फटे जिसमें 3,000 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. इसके अगले दिन लेबनान में वॉकी-टॉकी में ब्लास्ट की खबरें आईं जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे. इन धमाकों के बाद हिज्बुल्लाह और इजरायल में लड़ाई तेज हो गई जिसमें हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह भी मारे गए. इजरायल ने लेबनान में जमीनी कार्रवाई भी शुरू कर दी है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने लेबनान में इजरायल की कार्रवाई और ईरान की प्रतिक्रिया की निंदा की है. उन्होंने कहा कि इसे रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'इसे अवश्य रोकना चाहिए. हमें निश्चित रूप से युद्ध विराम की आवश्यकता है.'