अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की हाल ही में भारत में चीनी घुसपैठ को लेकर रिपोर्ट सामने आई थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन अरुणाचल प्रदेश से लगे एक विवादित क्षेत्र में गांव का निर्माण कर रहा है. इस रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा था कि ये इलाका तिब्बत अटॉनमस रीजन और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सेक्टर के बीच पड़ता है. पेंटागन ने ये भी दावा किया कि चीन करीब साढ़े चार किलोमीटर अंदर घुसकर यहां लगभग 100 घरों वाला गांव बसा चुका है. पेंटागन की रिपोर्ट को लेकर अब भारत ने भी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उन्होंने पेंटागन की रिपोर्ट पर गौर किया है. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में साफ किया है कि भारत ने न तो अपने इलाके में चीन द्वारा किसी अवैध कब्जे को स्वीकारा है और न ही उसने चीन के ऐसे गलत दावों को कभी माना है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत सरकार ने हमेशा राजनयिक माध्याओं से ऐसी गतिविधियों का कड़ा विरोध किया है. और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखता है और अपनी अखंडता की रक्षा के लिए सभी जरूरी उपाय करेगा. अरिंदम बागची ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि चीन की सीमा से लगे क्षेत्रों में तेजी से सड़क और पुल बनाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वे बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं और ये तथाकथित गांव एलएसी पर उनके अधिकार क्षेत्र में हैं. उन्होंने एलएसी पर हमारे क्षेत्र का कभी उल्लंघन नहीं किया. कई तरह की धारणाएं हैं. हम इस बात को लेकर साफ हैं कि एलएसी कहां है और इस क्षेत्र पर हमारी क्या स्थिति है.
अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश करता रहा है चीन
गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को अवैध मानता है और इसे मान्यता नहीं देता है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश करते हुए उसे दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है. हाल ही में भारत के उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के इस क्षेत्र में किए गए दौरे का भी चीन ने कड़ा विरोध किया था. पिछले साल जून में लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर हुई हिंसक भिड़ंत के बाद से ही भारत-चीन के रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं. हाल ही में इस सीमा विवाद को लेकर 13वें दौर की सीनियर सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी. इसके बाद से ही अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन की घुसपैठ को लेकर रिपोर्ट्स सामने आती रही हैं.
चीन का मीडिया तो भारत-चीन के युद्ध की संभावनाओं को लेकर बात करने लगा था. चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि भारत और चीन दोनों शक्तिशाली देश हैं जिनके पास बॉर्डर पर लंबे समय तक संघर्ष करने के लिए पर्याप्त ताकतें और साधन मौजूद हैं. भारत और चीन के बीच इस तरह का टकराव काफी खेदपूर्ण होगा लेकिन अगर भारत युद्ध के लिए तैयार है तो चीन भी अंत तक पीछे नहीं हटेगा. गलवान घाटी में हुआ संघर्ष ये साबित करता है कि चीन, भारत-चीन संबंधों की बेहतरी के लिए अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के साथ समझौता कभी नहीं करेगा.