इंतिफादा का सामान्य अर्थ यूं तो 'बगावत' या 'विद्रोह' होता है. लेकिन अरबी भाषा में इसका अर्थ 'उथल पुथल' 'हंगामा', 'हलचल' या छुटकारा पाना होता है. अरब की जमीन पर इस शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर इजरायल के खिलाफ फिलीस्तिनयों की लड़ाई में होता है. इजरायल के खिलाफ इंतिफादा की कई लहरें उठ खड़ी हुई हैं. पहला इंतिफादा 1987 में शुरू हुआ और 1993 में खत्म हुआ था. इसके बाद 2000 में शुरू हुआ इंतिफादा पहले कहीं ज्यादा खूनी था और चार साल तक चला.
इंतिफादा का यही नारा जब अरब से निकलकर दूसरे देशों में पहुंचा तो इसे 'ग्लोबलाइ द इंतिफादा' कहा जाने लगा. इसका मतलब था इंतिफादा को पूरी दुनिया में फैलाओ. इंतिफादा के बहाने सशस्त्र हिंसा का ये नारा कभी कश्मीर भी पहुंचा था और इसकी चपेट में सैकड़ों कट्टरपंथी आए थे.
'ग्लोबल इंतिफादा' एक विवादास्पद नारा है जो मुख्य रूप से प्रो-फिलिस्तीनी प्रदर्शनों में इस्तेमाल होता रहा है. अगर इंतिफादा के साथ ग्लोबल जोड़ दिया जाता है तो इसका मतलब इसे पूरी दुनिया में ले जाना होता है. 'ग्लोबल इंतिफादा' का मतलब इस संघर्ष को वैश्विक स्तर पर फैलाना है.
'ग्लोबलाइज द इंतिफादा'
समर्थक इसे फिलिस्तीनी अधिकारों के लिए वैश्विक एकजुटता और शांतिपूर्ण प्रतिरोध का आह्वान मानते हैं, जबकि आलोचक, खासकर यहूदी संगठन और कई सरकारें, इसे इजरायल तथा यहूदियों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाला मानती हैं क्योंकि दूसरी इंतिफादा में सुसाइड बॉम्बिंग और नागरिकों पर हमले हुए थे, जिसमें हजारों लोग मारे गए. यह नारा 2023 से गाजा युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों के प्रदर्शनों में ज्यादा चर्चित हुआ और एंटीसेमिटिज्म के आरोपों का कारण बना.
ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच पर यहूदियों पर हुए हमले की वजह से 'ग्लोबल इंतिफादा' की चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई है.
इंतिफ़ादा को ग्लोबलाइज़ करने की अपीलों से यह भावना बनती है कि दुनिया भर के लोगों को दुनिया भर में इजरायल के समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है. इसके कई विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे हैं, फिर भी कुछ लोगों ने यहूदियों और उनके संस्थानों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई की है. बॉन्डी हमले को इसी का विस्तार माना जा रहा है.
14 दिसंबर 2025 को सिडनी के बॉन्डी बीच पर हनुक्का समारोह में हुए आतंकवादी हमले में 15 यहूदी मारे गए. इस हमले को ISIS से प्रेरित बताया गया.
इंतिफादा पर ब्रिटेन में शुरू हुआ एक्शन
इस बीच यहूदी बोर्ड ऑफ़ डेप्यूटीज़ ने ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों से "ग्लोबलाइज़ द इंतिफ़ादा" नारे पर बैन लगाने की अपील की है. इधर यूके पुलिस ने कहा कि बॉन्डी हमले के बाद वे यह नारा लगाने वाले प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार करना शुरू कर देंगे.
इस घोषणा के कुछ घंटों बाद लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने कहा कि बुधवार रात स्थानीय समय के अनुसार ब्रिटिश राजधानी में फ़िलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन के दौरान "इंतिफ़ादा के लिए नारे लगाने वाले दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
पुलिस ने बताया कि अधिकारियों ने बाद में पब्लिक ऑर्डर में खलल डालने के लिए दो और लोगों को गिरफ़्तार किया है.
लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस और ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस ने 17 दिसंबर को संयुक्त बयान जारी कर कहा कि अब 'ग्लोबलाइज द इंतिफादा' जैसे प्लेकार्ड्स या चैंट्स पर गिरफ्तारी की जाएगी क्योंकि अब इस नारे का संदर्भ बदल गया है. लंदन पुलिस ने इसे कार्रवाई योग्य बताया.
प्रो-फिलीस्तीन ग्रुप्स ने इसे राजनीतिक दमन कहा, जबकि यहूदी समुदाय और चीफ रब्बी ने इसे जरूरी कदम बताया.
'ग्लोबलाइज द इंतिफादा' पर वैश्विक प्रतिक्रिया
न्यूयॉर्क टाइम्स के कॉलमनिस्ट ब्रेट स्टीफेंस ने अपने लेख में कहा कि बॉन्डी बीच हमला ठीक वही है जो 'ग्लोबलाइज द इंतिफादा' का मतलब है, यानी फीलिस्तीनी इंतिफादा की हिंसा को वैश्विक स्तर पर फैलाना, जहां यहूदियों को निशाना बनाया जाए.
इसी तरह द अटलांटिक, वॉल स्ट्रीट जर्नल और अन्य प्रकाशनों ने तर्क दिया कि प्रो-फिलिस्तीनी प्रदर्शनों में बार-बार इस्तेमाल होने वाला यह नारा हिंसा को प्रोत्साहित करता है और बॉन्डी इसका जीता-जागता उदाहरण है. इजरायली विदेश मंत्री ने भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया में पिछले दो वर्षों से 'ग्लोबलाइज द इंतिफादा' जैसे नारों से एंटीसेमिटिज्म बढ़ा, जिसका परिणाम यह हमला है.
कश्मीरी इंतिफादा की चर्चा
इंतिफादा की गलत व्याख्या से प्रभावित होकर कश्मीर में कई युवा इसकी आड़ में भारत के खिलाफ हिंसा फैलाने में जुट गए थे. आतंकी इसे मजहबी रंग देकर युवाओं को बरगलाते थे और अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करते थे.
कश्मीर में इंतिफादा की चर्चा मुख्य रूप से उन दौर में होती है जब घाटी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होता था. खासकर युवाओं द्वारा पत्थरबाजी और सुरक्षा बलों से टकराव के समय. यह शब्द पहली बार प्रमुखता से 2010 में सामने आया, जब कश्मीर घाटी में महीनों तक चले पत्थरबाजी और प्रदर्शनों को 'कश्मीरी इंतिफादा' कहा जाने लगा. तब युवा पत्थर फेंककर भारत के खिलाफ विरोध कर रहे थे.
इस दौरान काफी हिंसा हुई और कर्फ्यू लगा रहा. फिर 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद भड़के बड़े विरोध को भी इंतिफादा से जोड़ा गया, जिसमें महीनों तक हिंसा चली और दर्जनों लोग मारे गए.