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दो दिवसीय यात्रा पर चीन पहुंचे विदेश सचिव विजय गोखले, मसूद अजहर पर होगी बात

विदेश सचिव विजय गोखले रविवार को चीन की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे. इस दौरान विजय गोखले चीन के उच्च पदस्थ अधिकारियों और विदेश मंत्री वांग यी के साथ भारत-चीन से जुड़े जरूरी मुद्दों पर बातचीत करेंगे.

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विदेश सचिव विजय गोखले (फाइल फोटो)
विदेश सचिव विजय गोखले (फाइल फोटो)

विदेश सचिव विजय गोखले रविवार को दो दविसीय चीन यात्रा पर पहुंचे हैं. इस दौरान विजय गोखले चीन के उच्च पदस्थ अधिकारियों और विदेश मंत्री वांग यी के साथ भारत-चीन से जुड़े जरूरी मुद्दों पर बातचीत करेंगे. बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को 'वैश्विक आतंकवादी' घोषित करने की कोशिश में चीन की ओर बाधा डालने सहित कई मुद्दों को लेकर खोखले की यह यात्रा हो रही है, इस दौरान वे इन मुद्दों पर चर्चा कर चीन का रुख जानना चाहेंगे.

भारतीय दूतावास ने बीते शनिवार को यह जानकारी दी थी कि गोखले बीतचीत करने के लिए चीन का दौरा करेंगे और इस दौरे के लिए कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गोखले चीन के उप विदेश मंत्री कोंग शुनयू के साथ 22 अप्रैल को द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और इस दौरान वे विदेश मंत्री वांग यी से मुकालात करेंगे, जो स्टेट काउंसलर हैं. गौरतलब है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) में स्टेट काउंसलर का पद ऊंचे स्तर का माना जाता है.

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बता दें कि पिछले साल विदेश सचिव का पदभार संभालने से पहले विजय गोखले चीन की राजधानी बीजिंग में भारत के राजदूत थे. 14 फरवरी के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और चीन के बीच रिश्ते को लेकर बातचीत के लिए उनकी यह यात्रा है.

गौरतलब है कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने पुलवामा आतंकी हमले को अंजाम दिया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इस आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने पाकिस्तान में रह रहे मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए प्रस्ताव पर रोक लगा दी. उसके बाद से भारतीय पक्ष में चीन द्वारा उठाए गए इस कदम को लेकर निराशा हुई.

इसके अलावा चीन में राजदूत रह चुके गोखले का यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन अपने सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम 'बेल्ट एंड रोड' फोरम का आयोजन करने जा रहा है और भारत इस कार्यक्रम का हमेशा से विरोध करता रहा है.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच पिछले साल वुहान में अनौपचारिक रूप से शिखर सम्मेलन के बाद मुलाकात हुई थी. इस दौरान दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने को लेकर चर्चा हुई थी, जिसके बाद भारत और चीन के संबंधों में सकारात्मक गति आई थी.

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