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चीन ने ट्रंप को दी अपनी गिरेबान में झांकने की हिदायत! US राष्ट्रपति ने लगाया था यूक्रेन जंग फंड करने का आरोप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने UNGA में भारत और चीन को यूक्रेन युद्ध के "प्रमुख फंडर" बताते हुए रूसी तेल खरीद पर निशाना साधा था. चीन ने जवाब दिया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ भी रूस से व्यापार कर रहे हैं. बीजिंग ने चेतावनी दी कि अगर उसके व्यापारिक हितों में बाधा डाली गई तो जवाबी कदम उठाए जाएंगे.

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ट्रंप ने UNGA में भारत-चीन दोनों पर रूसी जंग को फंड करने का आरोप लगाया था. (Photo- Reuters)
ट्रंप ने UNGA में भारत-चीन दोनों पर रूसी जंग को फंड करने का आरोप लगाया था. (Photo- Reuters)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान पर चीन ने कड़ा जवाब दिया है जिसमें उन्होंने भारत और चीन को रूस-यूक्रेन युद्ध का "प्रमुख फंडर" बताया था. ट्रंप ने 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि भारत और चीन रूसी तेल खरीदकर इस युद्ध को फंड कर रहे हैं. चीन ने इसके जवाब में कहा कि खुद अमेरिका और यूरोपीय संघ रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं.

बीजिंग में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने बुधवार को ट्रंप की आलोचना को खारिज किया. उन्होंने कहा, "ज्यादातर देश, जिनमें अमेरिका और यूरोपीय संघ भी शामिल हैं, रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं. अमेरिका भी मास्को के साथ कारोबार कर रहा है."

यह भी पढ़ें: UN में बोले ट्रंप- ‘यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहे भारत-चीन', सात महीने में 7 युद्ध खत्म करवाने की डींग भी हांकी!

गुओ ने कहा कि चीन और रूस के बीच सामान्य व्यापारिक सहयोग विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों और बाजार सिद्धांतों के मुताबिक है और यह किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर चीन की कंपनियों के सामान्य व्यापार में बाधा डाली गई तो बीजिंग अपने हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा.

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चीनी प्रवक्ता ने यह भी दोहराया कि चीन हमेशा से यूक्रेन संकट पर "निष्पक्ष और न्यायपूर्ण" रुख अपनाता आया है और शांति वार्ता की वकालत करता रहा है.

डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल खरीद को लेकर क्या कहा?

अपने भाषण में ट्रंप ने कहा था कि भारत और चीन की ओर से रूसी तेल की खरीद जारी रहना अस्वीकार्य है. उन्होंने EU की भी आलोचना की, लेकिन अमेरिका के अपने रूस से व्यापार का जिक्र नहीं किया. ट्रंप ने कहा, "यह सोचने वाली बात है कि नाटो देश खुद ही उस युद्ध को फंड कर रहे हैं जो उनके खिलाफ लड़ा जा रहा है."

यह भी पढ़ें: 'जंग में रूस को फंड..', देखें UNGA में भारत और चीन पर क्या बोले ट्रंप

ट्रंप प्रशासन ने भारत पर दंडात्मक कदम उठाते हुए रूसी तेल आयात के कारण अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिया. इससे भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क 50% तक पहुंच गए हैं, जो दुनिया में सबसे ऊंचे स्तरों में गिने जाते हैं.

ट्रंप के बयानों पर भारत का क्या रुख रहा है?

पिछले महीने भारत ने भी अमेरिका और यूरोप को याद दिलाया था कि वे खुद भी रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उनके लिए यह कोई "राष्ट्रीय अनिवार्यता" भी नहीं है.

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भारत ने स्पष्ट किया था कि यूरोप रूस से ऊर्जा, उर्वरक, खनिज, स्टील, मशीनरी और ट्रांसपोर्ट उपकरण आयात कर रहा है, जबकि अमेरिका रूस से परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और अन्य केमिकल खरीदता रहा है.

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