
खाद्य संकट से गुजर रहे चीन ने अपने देश की जनता का पेट भरने के लिए भारत की ओर रुख किया है. चीन 30 सालों में पहली बार भारत से चावल का आयात कर रहा है. इसके अलावा भारत ने चीन को सस्ते दरों पर टूटा चावल बेचने का ऑफर दिया है.
समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक भारत के व्यापारियों ने लगभग 1 लाख टन चावल चीन को निर्यात करने के लिए समझौता किया है.
बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यात देश है जबकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा चावल आयातक है. चीन अपने देश की 1.4 अरब जनता का पेट भरने के लिए के सालाना 40 लाख टन चावल का आयात करता है. हालांकि चीन कुछ दिनों से भारत से चावल आयात नहीं कर रहा था. चीन ने इसके लिए चावल की गुणवता का हवाला दिया था.
हालांकि अब जब चीन के सामने खाद्य संकट है तो बीजिंग गुणवत्ता का मुद्दा छोड़कर भारत से आयात करने को तैयार हो गया है. बता दें कि चीन के सामने आए खाद्य संकट की कई वजहें हैं. चीन में दुनिया की कुल 22 फीसदी आबादी रहती है, लेकिन उसके पास दुनिया की कुल कृषि योग्य भूमि का 7 फीसदी ही है. 1949 के बाद चीन में बड़े पैमाने पर हुए औद्योगीकरण और शहरीकरण की वजह से कृषि योग्य भूमि की काफी कमी हो गई है. इस प्रक्रिया में चीन ने अपने 20 फीसदी कृषि योग्य जमीन को खो दिया. इसका नतीजा अब खाद्य संकट के रूप में आ रहा है.
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भारत के चावल व्यापारियों के मुताबिक भारत से तनाव के बीच चीन ने चावल की खरीदारी के लिए थाइलैंड, वियतनाम, म्यांमार और पाकिस्तान से बात की थी. लेकिन इन देशों में अतिरिक्त चावल की सीमित मात्रा है. इसके साथ ही ये देश चीन को चावल बेचने के एवज में प्रत्येक टन पर 30 डॉलर ज्यादा ले रहे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक चीन भारत से 1 लाख टन टूटा चावल दिसंबर से फरवरी के बीच खरीदेगा. इसके लिए 300 डॉलर प्रति टन कीमत तय की गई है.
आखिरकार चारों ओर से निराशा लगने के बाद चीन भारत से चावल खरीदने पर मजदूर हुआ. चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष बी वी कृष्ण राव ने कहा, "पहली बार चीन ने भारत से चावल की खरीद की है. भारत के चावल की क्वालिटी देखकर वे अगले साल खरीद की मात्रा बढ़ा सकते हैं."