अपने मजबूत खुफिया तंत्र के लिए मशहूर इजरायल से आई एक खबर ने सभी को हैरान कर दिया. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के एक करीबी को प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ संवेदनशील सिक्योरिटी डॉक्यूमेंट्स को लीक करने के मुख्य संदिग्ध के रूप में देखा जा रहा है.
इजरायली पुलिस ने कथित तौर पर विदेशी मीडिया को गोपनीय जानकारी लीक करने के आरोप में नेतन्याहू के एक शीर्ष सहयोगी एलीएजर फेल्डस्टीन को गिरफ्तार किया है. इस खुफिया लीक की फिलहाल इजरायली अदालत जांच कर रही है क्योंकि ये दस्तावेज कथित तौर पर बंधकों से जुड़ी एक डील को विफल करने के लिए सुनियोजित अभियान का हिस्सा थे.
नेतन्याहू के करीबी सहयोगी पर चल रही जांच
इस लीक को देश के इतिहास में सबसे गंभीर सुरक्षा उल्लंघनों में से एक माना जा रहा है. द यरुशलम पोस्ट के अनुसार, वर्तमान में चार व्यक्तियों पर जांच चल रही है, जिनमें एलीएजर फेल्डस्टीन भी शामिल है. वह नेतन्याहू का करीबी सहयोगी है और अनौपचारिक रूप से उनके लिए काम कर रहा था.
दस्तावेजों के लीक को लेकर अदालत ने कहा कि इससे 'राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर नुकसान और सूचना स्रोतों के लिए खतरे की चिंता' पैदा हुई. इससे बंधकों को रिहा करने के लक्ष्य को हासिल करने में सुरक्षा बलों की क्षमता को नुकसान हो सकता था
एलीएजर फेल्डस्टीन कौन है?
द यरुशलम पोस्ट के अनुसार, युद्ध शुरू होने के तुरंत बाद फेल्डस्टीन को प्रधानमंत्री कार्यालय की मीडिया टीम ने हायर किया था. हालांकि उनकी पोस्ट को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है लेकिन जानकारी के मुताबिक इजरायली अधिकारी ने आईडीएफ में प्रवक्ता के रूप में और फिर राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गविर के प्रवक्ता के रूप में काम किया.
नेतन्याहू के ऑफिस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चूंकि फेल्डस्टीन ने शिन बेट सुरक्षा मंजूरी जांच प्रक्रिया को पास नहीं किया था, इसलिए वह आधिकारिक तौर पर इजरायली पीएमओ का कर्मचारी नहीं था. घटनाक्रम के बाद विपक्षी नेता एमके यायर लैपिड ने कहा कि नेतन्याहू या तो बंधकों से जुड़े सौदे को विफल करने के प्रयास में क्लासिफाइड जानकारी लीक करने में शामिल थे या वह देश का नेतृत्व करने में पूरी तरह से अक्षम हैं.
विपक्ष लगा रहा आरोप
सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स ऐसे वक्त पर लीक हुए हैं जब इजरायली प्रधानमंत्री पर अपनी गठबंधन सरकार को गिरने से बचाने के लिए बंधकों से जुड़े सौदे पर बार-बार रोक लगाने का आरोप लगाया गया है. इतना ही नहीं, कई लोगों का मानना था कि नेतन्याहू पद पर बने रहना चाहते थे क्योंकि वह इसे 2019 में दायर धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी और विश्वासघात के मामलों में अभियोजन से बचने का सबसे अच्छा तरीका मानते हैं.