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यमन: पैसे बांट रहे व्यापारियों के कार्यक्रम में मची भगदड़, 78 लोगों की मौत

यमन में आर्थिक सहायता वितरण कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मच गई. इस घटना में 78 लोगों की मौत हो गई. भगदड़ में एक दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. हादसे के बाद दो व्यापारियों को हौती विद्रोहियों ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

यमन की राजधानी साना में एक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें 78 लोगों की मौत हो गई. इस दौरान सैंकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. कहा जा रहा है कि मरने वालों का आंकड़ा और बढ़ सकता है. दरअसल, इस कार्यक्रम में व्यापारी लोगों को आर्थिक सहायता (पैसे) बांट रहे थे. इस घटना के बाद कार्यक्रम आयोजित करने वाले 2 व्यापारियों को हूती विद्रोहियों ने अपने कब्जे में ले लिया है.

हूती विद्रोही संचालित गृह मंत्रालय के मुताबिक हादसा राजधानी साना के पुराने शहर में हुआ. यहां व्यापारियों ने गरीब लोगों को आर्थिक सहायता देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसमें सैकड़ों की तादाद में लोग पहुंचे थे. हौती विद्रोहियों के ब्रिगेडियर अब्देल-खलीक अल-अघरी के मुताबिक कार्यक्रम में सही समन्वय न होने के कारण यह हादसा हुआ. 

हादसे के बाद हौती विद्रोहियो ने उस स्कूल को तुरंत सील कर दिया, जहां कार्यक्रम आयोजित किया गया था. यहां पत्रकारों सहित दूसरे अन्य लोगों को आने से रोक दिया गया. चश्मदीदों, अब्देल-रहमान अहमद और याहिया मोहसिन ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने को कोशिस में हथियारबंद हूती विद्रोहियों ने हवा में गोली चलाई. यह एक बिजली के तार से टकराईं, जिसके कारण उसमें विस्फोट हो गया. इससे दहशत फैल गई और लोगों ने भगदड़ मचानी शुरू कर दी. बता दें कि यमन की राजधानी में हौती विद्रोहियों का नियंत्रण है. उन्होंने यहां से सरकार को हटाकर राजधानी पर कब्जा कर लिया था. 

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कौन है हौती विद्रोही?

1980 के दशक में हौती विद्रोहियों का उदय हुआ था. यमन के उत्तरी क्षेत्र में शिया इस्लाम की एक शाखा जायडिज्म का आदिवासी संगठन बना. हौती विद्रोही उत्तरी यमन में सुन्नी इस्लाम की सलाफी विचारधारा के विस्तार का विरोध करता है. जब यमन में सुन्नी नेता अब्दुल्ला सालेह की सरकार थी तो उस समय शियाओं की दमन की कई घटनाएं सामने आईं. हौतियों का मानना था कि सालेह की आर्थिक नीतियों की वजह से उत्तरी यमन में असमानता बढ़ी है. 2000 के दशक में हौतियों ने अपनी सेना बना ली. रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 से 2010 के बीच हौती विद्रोहियों ने सालेह की सेना से 6 बार युद्ध किया था. इसके बाद 2014 में हौती विद्रोहियों ने अबेद रब्बो मंसूर हादी को सत्ता से बेदखल कर दिया और राजधानी साना को अपने कब्जे में ले लिया. इससे सऊदी अरब और यूएई घबरा गए. उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से एक गठबंधन बनाया. ये गठबंधन हौतियों पर हमला करता है.

ईरान का नाम कैसे आया इसमें?

ईरान को हौती विद्रोहियों का समर्थक माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि हौतियों को ईरान सीधे तौर पर समर्थन करता है. इसकी दो वजहें सामने आती हैं. पहली तो ये कि ईरान भी एक शिया देश और हौती भी शिया हैं. दूसरी ईरान और सऊदी अरब के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है.हौती विद्रोहियों के चलते यमन में काफी सालों से गृहयुद्ध चल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, गृहयुद्ध में अब तक 2.30 लाख यमन नागरिकों की मौत हो चुकी है. संयुक्त राष्ट्र ने कई बार युद्ध को शांत कराने की कोशिश की. लेकिन न ही सऊदी अरब पीछे हटने को तैयार है और ना ही हौती. बताया जाता है कि हौती विद्रोहियों की विचारधारा शाही शासन के खिलाफ है. ये इजरायल, अमेरिका और सऊदी अरब को अपना दुश्मन मानते हैं. हौती विद्रोहियों का अभी उत्तरी यमन पर कब्जा है. लेकिन उनका लक्ष्य पूरे यमन पर कब्जा करना है.

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