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इराक के बाद लीबिया में आफत, नर्सों समेत अन्य भारतीयों को निकालने की कोशिश

इराक में बंधक बने भारतीयों की सुरक्षि‍त वापसी का मामला अभी सुलझ भी नहीं पाया था कि एक और तरफ से मुसीबत आ गई. अब लीबिया में हालात खराब होते जा रहे हैं. केंद्र सरकार वहां से नर्सों समेत अन्य भारतीयों को स्वदेश लाए जाने को लेकर काम कर रही है.

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इराक में बंधक बने भारतीयों की सुरक्षि‍त वापसी का मामला अभी सुलझ भी नहीं पाया था कि एक और तरफ से मुसीबत आ गई. अब लीबिया में हालात खराब होते जा रहे हैं. केंद्र सरकार वहां से नर्सों समेत अन्य भारतीयों को स्वदेश लाए जाने को लेकर गंभीरता से काम कर रही है.

लीबिया में भी बड़ी संख्या में भारतीय नर्सें हिंसा प्रभावित इलाके में फंस गई हैं. लीबिया की राजधानी त्रिपोली स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कब्जा करने के लिए हिंसा ने उग्र रूप धारण कर लिया है. भारतीय नर्सों ने मदद और घर वापसी के लिए भारतीय दूतावास से गुहार लगाई है.

मध्य जुलाई से जारी संघर्ष में त्रिपोली हवाई अड्डे के आसपास रॉकेट और गोले बरसने के कारण भारतीय नागरिकों में डर है. त्रिपोली के दो अस्पतालों में काम कर रही 430 नर्सों में से केवल 88 ने ही भारतीय दूतावास से मदद मांगी है.

पिछले दो सप्ताह से लीबिया में सरकारी सेना और इस्लामिक आतंकियों के बीच घमासान चल रहा है. इस संघर्ष के कारण राजधानी त्रिपोली और बेनगाजी में अफरा-तफरी मची हुई है. संघर्ष में मारे गए 150 लोगों में से अधिकांश नागरिक हैं.

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लड़ाई को ध्यान में रखते हुए लीबिया में भारतीय राजदूत अजर एएच खान ने त्रिपोली अस्पताल में नर्सों से मुलाकात की और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया. खान ने त्रिपोली से फोन पर हुई बातचीत में बताया, 'हर कोई यहां सुरक्षित है. हम नर्सों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं.'

हालांकि राजदूत ने कहा कि केवल कुछ ही भारतीय नर्सों ने देश छोड़ने में मदद के लिए दूतावास से संपर्क किया है. उन्होंने कहा, 'केवल हवाई अड्डे के आसपास के इलाकों में संघर्ष चल रहा है, बाकी जगह सबकुछ सामान्य है.'

गौरतलब है कि इराक में सुन्नी बहुल इलाकों पर सुन्नी आतंकियों के कब्जा कर लेने के बाद वहां से नर्सों को निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.

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