अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन के साथ भी चीन की तकरार बढ़ती जा रही है. भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने गुरुवार को लद्दाख में चीन की गतिविधि को चिंताजनक करार दिया तो चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी. चीनी राजदूत सन वेईदोंग ने कहा कि चीन पर ब्रिटिश उच्चायुक्त फिलिप बार्टन का बयान गलतियों और फर्जी आरोपों से युक्त है.
भारत में चीनी राजदूत वेईदोंग ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक द्विपक्षीय मुद्दा है और दोनों देशों के पास अपने मतभेद सुलझाने के लिए पर्याप्त सूझबूझ और क्षमता है. वेईदोंग ने कहा कि भारत-चीन के विवाद में किसी तीसरे पक्ष को दखल देने की जरूरत नहीं है.
ब्रिटिश उच्चायुक्त फिलिप बार्टन ने गुरुवार को भारत-चीन के बीच तनाव कम करने की कोशिशों का स्वागत किया था. हालांकि, बार्टन ने ये भी कहा था कि हॉन्ग कॉन्ग और एलएसी में चीन की कार्रवाई चिंताजनक है. उन्होंने शिनजियांग प्रांत में वीगर मुस्लिमों के मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भी चीन की आलोचना की. बार्टन ने कहा कि ब्रिटेन चीनी गतिविधियों से उपजी चुनैतियों से पूरी तरह अवगत है और उनसे निपटने के लिए अपने करीबी सहयोगी अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है.
बार्टन ने कहा था, हमारी चीन के साथ सीमा नहीं लगती है लेकिन हॉन्ग कॉन्ग को लेकर हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं. नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जिसे चीन ने हॉन्ग कॉन्ग पर थोपा है, वो ब्रिटेन-चीन संयुक्त घोषणापत्र का गंभीर और स्पष्ट उल्लंघन है. ब्रिटिश उच्चायुक्त ने कहा कि हमें शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर भी बहुत चिंता है. इसके अलावा, दक्षिण चीन सागर को लेकर भी हमारा नजरिया बिल्कुल साफ है.
दक्षिण चीन सागर और हॉन्ग कॉन्ग को लेकर ब्रिटेन की टिप्पणी पर चीनी राजदूत ने अमेरिका की तरफ इशारा करते हुए कहा, दक्षिण चीन सागर में असली चुनौतियां क्षेत्र के बाहर से आ रही हैं जो समुद्री विवाद को बढ़ावा देकर शांति और स्थिरता को खत्म कर रही हैं. हॉन्ग कॉन्ग के मसले पर वेईदोंग ने कहा कि चीन इस मुद्दे में किसी विदेशी दखल की इजाजत नहीं देता है.
ब्रिटेन और चीन दोनों एक-दूसरे के खिलाफ लगातार बयान जारी कर रहे हैं. हाल ही में, ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने बीजिंग पर शिनजियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों के खिलाफ गंभीर रूप से मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया था. जवाब में, ब्रिटेन के चीनी राजदूत ने कहा कि अगर ब्रिटेन कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर उसके अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाता है तो वह भी इसका मुंहतोड़ जवाब देगा.
हॉन्ग कॉन्ग और वीगर मुसलमानों के मुद्दे पर विरोध के अलावा, ब्रिटेन ने 5जी मोबाइल नेटवर्क से चीनी कंपनी हुवावे को बैन करके भी चीन को तगड़ा झटका दिया था जिससे दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ गया है.
चीन ने ब्रिटेन के हुवावे पर बैन लगाने पर कहा था कि ब्रिटेन की अपनी स्वतंत्र विदेश नीति होनी चाहिए ना कि उसे अमेरिकियों की धुन पर नाचना चाहिए. उन्होंने कहा कि चीनी कंपनी हुवावे के मामले में भी यही हुआ. अमेरिका लंबे वक्त से चीनी कंपनी हुवावे को बैन करने के लिए ब्रिटेन पर दबाव डाल रहा था. जब ब्रिटेन ने ये कदम उठाया तो अमेरिका ने खुलकर स्वागत किया.