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UP में जाति नहीं अब काबिलियत पर होगी बात, विकसित यूपी समिट में बोले असीम अरुण

लखनऊ में आयोजित 'विकसित यूपी समिट' के विशेष सत्र में मंत्रियों ने जातिगत राजनीति पर करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि अब यूपी की पहचान अपराध से नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था और विकास से होती है. बीजेपी सरकार ने जातिगत पहचान को पीछे छोड़कर योग्यता को महत्व दिया है.

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जातिगत पहचान से अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं कई दल. (Photo:Screengrab)
जातिगत पहचान से अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं कई दल. (Photo:Screengrab)

लखनऊ में विकसित यूपी समिट का आगाज हो चुका है. समिट के विशेष सत्र 'ताकत वतन की यूपी से है' में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) यूपी, दयाशंकर सिंह, और समाज कल्याण एवं अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बात की.

असीम अरुण ने यूपी सरकार को हाल जाति आधारित रैलियों और सरकार रिकॉर्ड में जातियों के इस्तेमाल पर लगाए प्रतिबंध पर बोलते हुए कहा, जब हम विकसित भारत की बात करते हैं तो केवल आर्थिक प्रगति एक पैमाना नहीं है. उसका एक पैमाना ये भी होगा कि भेदभाव खत्म होगा या नहीं. 

इस वक्त हम जातिगत भेदभाव की बात कर रहे हैं. सबसे पहले जातिगत पहचान को तेजी के साथ खत्म किया जाए, जबकि दूसरी ओर कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं जो सोचते हैं कि जातिगत पहचान से ही उनका राजनीतिक उल्लू सीधा होगा, लेकिन बीजेपी का ऐसा सोचना नहीं है. हमारा नारा सबका साथ सबका विकास है.

यूपी में पीछे छूटी जातिगत पहचान

उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने जाति का विनाश नाम से एक छोटी सी किताब लिखा, जिसमें उन्होंने जाति को खत्म करने का पूरा फार्मूला दिया. उसी फॉर्मूले पर आज सीएम योगी की सरकार चल रही है. जातिगत पहचान, जातिगत राजनीति  या गाड़ियों के पीछे जाति लिखना ये सब पुराने दिनों का बातें हो गई. अब नए यूपी की बात हो रही है, जहां जातिगत पहचान अब पीछे छूटेगी और अब काबिलियत पर फैसला होगा.  

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उन्होंने कहा हमने कई व्यवस्थागत परिवर्तन किए हैं. आज यूपी में हर नागरिक को भरोसा है कि अगर वह 112 पर कॉल करेंगे तो 8 मिनट के अंदर यूपी पुलिस की टीम उनके पास पहुंच जाएगी. 

जयवीर सिंह ने कहा, 'आज भी कई राजनीतिक दल आज भी जातियों का इस्तेमाल कर सत्ता हासिल करने प्रयास कर रहे हैं. यूपी में योगी जी के सत्ता में आने के बाद विकास के नए विषय को छूने का काम किया. जो लोग आज सत्ता में वापस आने के सपने देख रहे हैं, उन्होंने 2017 से पहले यूपी की दुर्दशा कर रखी थी. जहां ना महिला सुरक्षित थी और ना महिलाओं का सम्मान सुरक्षित था. न बच्चे सुरक्षित थे.'

उदाहरण है यूपी की कानून-व्यवस्था

उन्होंने कहा, 'आज हम गर्व से कह सकते हैं कि जिस यूपी को पहले पिछड़ा उत्तर प्रदेश कहा जाता है था, जिस यूपी की गरीबी और अपराधियों के लिए थी. आज कानून-व्यवस्था के मामले में अब योगी जी को पहचान करते हैं और यूपी के कानून-व्यवस्था का  उदाहरण देते हैं. मैं मानता हूं कि किसी भी देश या प्रदेश के विकास के लिए उसकी कानून-व्यवस्था दुरुस्त होने जरूरी है. इसी का असर है कि आज हम यूपी को बीमारू राज्य से देश का ग्रोथ इंजन बनाने में कामयाब हुए हैं.'

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सपा में परिवार के लिए आरक्षित हैं बड़े पद

इस बारे में बोलते हुए दयाशंकर सिंह देखिए, 'अखिलेश कहते हैं. वो खुद मुख्यमंत्री रहे हैं. उनके कार्यकाल में पुलिस ऑफिस से पुलिस को घसीटा जाता था. अपराधी जेल से सीधे डीजीपी से मिलने चला आता था. इस तरह का कानून उन्होंने बना रखा था. पर योगी जी के राज में वहीं पुलिस यदि कॉलर पकड़ ले तो कलेजा निकाल ले. आज कानून में बहुत परिवर्तन हुआ है. आज आम आदमी, आज हमारी बहनें रात में भी स्कूटी से चल सकती है. ये लोग बात करते हैं जाति की, ये लोग अपनी जाति के भी नहीं, सिर्फ अपने परिवार के हैं.'

उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी में एक से लेकर 24 तक पद अपने परिवार के लिए आरक्षित हैं. सपा एक भी कार्यकर्ता ये सपना नहीं देख सकता है कि मैं उसका राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते या मुख्यमंत्री बन सके. लेकिन बीजेपी उनकी जाति का सामान्य कार्यकर्ता एमपी में मुख्यमंत्री है. बीजेपी में समाज के हर वर्ग के व्यक्ति को समान अवसर मिलता है. योगी 1988 के बाद यूपी की सत्ता में वापस लौटकर आए हैं.

यूपी में हैं सबसे ज्यादा एक्सप्रेस-वे

उन्होंने कहा कि देखिए, उनके वक्त में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे बनाया था. लेकिन आज यूपी में 13 एक्सप्रेस-वे हैं. उन्होंने एक एक्सप्रेस-वे बनाया और योगी  जी ने 12 एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया है. आज सबसे ज्यादा एक्सप्रेस-वे वाला प्रदेश सिर्फ उत्तर प्रदेश है. एयर ट्रैफिक में भी यूपी लगातार काम कर रहा है, हमारे यहां पास चार इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं और 21 घरेलू एयरपोर्ट हैं. उन्होंने कहा कि मैं परिवहन विभाग संभाल रहा हूं, जब मैं मंत्री बना था तो हमारे 8500 बसे थीं और आज हमारे पास 14,500 बसें हैं. 

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