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यूपी: 28 साल पहले गायब हुआ बेटा, साधु के वेश में भिक्षा मांगते मिला, देखते ही मां के छलके आंसू

Bareilly News: काफी मान-मनौव्वल के बाद परिजन उसे लेकर घर पहुंचे. हालांकि, साधु वेशधारी बेटे ने परिवार के साथ रहने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि वह अपनी बाकी की जिंदगी साधु के रूप में ही गुजारना चाहता है.

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बरेली: 28 साल पहले लापता हो गया था शख्स
बरेली: 28 साल पहले लापता हो गया था शख्स

यूपी के बरेली में एक शख्स 28 साल पहले लापता हो गया था. घरवालों ने काफी खोजबीन की लेकिन उसका पता नहीं चल सका. लेकिन हाल ही में वो शख्स पड़ोस के गांव में साधु के वेश में भिक्षा मांगते मिला, जिसे देखकर परिजन हैरान रह गए. अपने लाल को देखने के बाद मां के आंसू छलक पड़े.

काफी मान-मनौव्वल के बाद परिजन उसे लेकर घर पहुंचे. हालांकि, साधु वेशधारी बेटे ने परिवार के साथ रहने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि वह अपनी बाकी की जिंदगी संत के रूप में ही गुजारना चाहता है. उसके पिता का देहांत 4 वर्ष पूर्व हो चुका है. घर में मां के अलावा तीन भाई हैं. 

आइए जानते हैं पूरी कहानी 

पूरा मामला बरेली के सेंथल क्षेत्र का बताया जा रहा ह, जहां 17 साल की उम्र में परिजनों से नाराज होकर घर से निकला एक युवक 28 वर्ष बाद पड़ोस के पचपेड़ा गांव में साधु के वेश में पाया गया. जानकारी मिलते ही उसके परिजन वहां पर पहुंच गए. वर्षों बाद बेटे को देख मां रोने लगी. घर के दूसरे लोग भी मौके पर आ गए. काफी समझाने-बुझाने के बाद बेटा घर की तरफ चलने के लिए राजी हुआ. 

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28 साल पहले छोड़ा था घर 

सेंथल कस्बे के मोहल्ला ठाकुरद्वारा निवासी सूर्यभान गुप्ता उर्फ सोनू 28 वर्ष पहले परिजनों से विवाद के बाद घर छोड़कर चला गया था. घर से जाने के समय उसकी उम्र 17 वर्ष थी. 

बीते शुक्रवार को पचपेड़ा गांव में एक साधु आढ़ती के यहां गल्ला बेचने पहुंचे, तभी आढ़त पर बैठे सुरेंद्र गुप्ता ने उसे पहचान लिया. सुरेंद्र ने इसकी सूचना तुरंत ही सूर्यभान उर्फ सोनू के परिवार के लोगों को दी. सूचना पर परिजन वहां पहुंच गए. उन्होंने बताया कि साधु वेशधारी और कोई नहीं बल्कि उनका बेटा सोनू है, जो 28 साल पहले घर से गायब हो गया था. 

सूर्यभान ने भी मां को पहचान लिया. लेकिन उसने वापस घर जाने से मना कर दिया. काफी कोशिश के बाद परिजन उसे घर लाए. पारिवारिक फोटो एल्बम दिखाया और बारी-बारी से सारे सदस्यों से मिलवाया.

सूर्यभान ने बताया कि वह हरिद्वार में गुरुजनों के साथ रहता है. हालांकि, घर से जाने के बाद वह कहां गया और हरिद्वार पहुंचने से पहले कहां-कहां रहा, इस बारे में उसने कुछ भी नहीं बताया. 

परिवार में कौन-कौन है? 

परिजनों ने बताया कि सूर्यभान के लौटने का इंतजार करते-करते चार वर्ष पहले पिता कृष्णचंद्र गुप्ता का निधन हो चुका है. परिवार में मां सरस्वती व भाई चंद्रभान गुप्ता, रोहित गुप्ता, अजय गुप्ता हैं. मां ने बेटे को घर पर रुकने के लिए कहा लेकिन सूर्यभान ने इनकार कर दिया. 

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उसका कहना है कि वह अब आगे की जिंदगी साधु बनकर ही गुजारना चाहता है. आधी से ज्यादा जिंदगी उसने इसी तरह से गुजारी है. सूर्यभान ने बताया कि जल्द ही वह अपने गुरुजनों के पास लौट जाएगा और हमेशा के लिए है ऐसे ही साधु बनकर रहेगा. घर-घर जाकर भिक्षा मांगेगा और दो वक्त का खाना-खाकर जिंदगी का गुजार देगा. 

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