उत्तर प्रदेश के संभल जिले की जिन लड़कियों को पुलिस ने सोशल मीडिया पर अश्लीलता फैलाने के आरोप में अरेस्ट किया था, उनको गांव वालों ने खूब खरी-खोटी सुनाई है. ग्रामीणों का कहना है कि महक और निशा उर्फ परी की वजह से उनका गांव बदनाम हो गया. उन्हें इतनी शर्म आती है कि वो अब पूछने पर खुद को दूसरे गांव का निवासी बताते हैं.
शहबाजपुर कला गांव के एक ग्रामीण ने कहा कि भले ही महक और परी के सोशल मीडिया पर 4 लाख फॉलोअर्स हों, लेकिन गांव में उनको चार आदमी भी पसंद नहीं करते. ना ही उनसे कोई बात करता है और ना ही कोई उनके मतलब रखना चाहता है. ग्रामीण की मानें तो अश्लील वीडियो बनाने से मना करने पर वे पुलिस बुलाने की धौंस देती थीं. इसलिए हम लोग चाहते थे कि उन्हें जमानत ना मिले. जेल में ही रखा जाए.
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बकौल ग्रामीण- हमारे घरों में भी बहन, बेटियां हैं. महक और परी की हरकतों से सब पर गलत असर पड़ता है. माहौल खराब हो रहा है. कुछ भी कहो तो झूठे आरोप लगाकर पुलिस से पकड़वा देती थीं. पूरा गांव दोनों की हरकतों से तंग है. अक्सर विवाद करती रहती हैं.
वहीं, गांव की महिलाओं ने कहा कि इन लड़कियों से इतना परेशान हो चुके हैं कि इलाका छोड़ने का मन होने लगा है. हालांकि, पुलिस ने जो एक्शन लिया है उससे उम्मीद जगी है कि ये अब गंदी हरकतें बंद कर देंगी. सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर्स हो सकते हैं लेकिन गांव में उनका कोई फॉलोअर नहीं है, बल्कि सब दुश्मन हैं. गांव की बेटी है तो बेटी की तरह ही रहे, अश्लील वीडियो बनाने का काम ना करे.
आपको बता दें कि संभल के असमोली थाना इलाके के शाहबाजपुर कला गांव की तीन लड़कियों- महक, निशा उर्फ परी, हिना और उनके साथी कैमरामैन जर्रार आलम को बीते दिनों पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था. इन पर आरोप है ये लोग सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो अपलोड करते हैं, जिनमें अश्लीलता, भद्दे इशारे, गंदी-गंदी गालियां होती हैं. वीडियो में महक व परी अपने गांव का नाम भी लेती हैं. हालांकि, बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई.
'आजतक' से बातचीत के दौरान गांव के बुजुर्ग मोहम्मद अयूब ने कहा कि लड़कियों द्वारा ऐसी हरकत करना बिल्कुल गलत है. मगर उनसे कहने की हिम्मत नहीं हुई क्योंकि वे झगड़ा करती थीं. पुलिस बुला लेती थीं. फर्जी आरोप जड़ देती थीं.
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वहीं, गांव के ही दूसरे बुजुर्ग मोहम्मद आसिम कहते हैं कि यह लड़कियां पूरी तरह से बदतमीजी पर उतारू रहती हैं. इन्होंने हमारे गांव को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. लोगों से बताने में भी शर्म आती है कि हम इन्हीं के गांव में रहते हैं. सोशल मीडिया पर उनको 4 लाख नहीं 8 लाख लोग फॉलो करते होंगे, लेकिन गांव मे 1 मिनट भी उनके काम को कोई पसंद नहीं करता. इन्होंने इतना गंदा माहौल ही बना दिया है.
एक अन्य बुजुर्ग ने कहा कि हमने इन लड़कियों की शिकायत पुलिस से की थी, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. पहले सोचते थे कि ये जेल ना जाएं, लेकिन पानी सिर से ऊपर निकल गया. फिर पुलिस ने एक्शन लिया. हालांकि, कोर्ट से जमानत मिल गई. शायद अब सुधर जाएं.
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महक और परी के घर के पास रहने वाली मोहम्मद शमी का कहना है कि इन लोगों का काम काफी गंदा था. कई बार ट्रॉलियों में भर-भरकर लोग इनकी शिकायत करने थाने गए थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं. इस बार पुलिस ने बिल्कुल सही एक्शन लिया है. हम लोग जब कभी गंदे वीडियो बनाने के लिए मना करते तो ये लड़कियां डंडे लेकर हमपर चढ़ जाती थीं. इनके द्वारा आए दिन झूठे इल्जाम लगाए जाते थे.
शाहबाजपुर कला गांव के निवासी मोहम्मद यूसुफ का कहना है कि महक-परी टोकने पर पुलिस चौकी जाकर झूठे आरोप लगवाकर लोगों को पकड़वा देती थीं. इन लड़कियों को पैसे से मतलब था. चाहे गंदे वीडियो से आए या किसी को फंसाकर. आज के समय में हर घर में मोबाइल है और जब भी कभी मोबाइल खोल कर देखो तो ये लड़कियां गाली देती हुई नजर आती थीं.