किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद का ऐलान किया गया है. भारतीय किसान यूनियन का भी इस ग्रामीण भारत बंद को समर्थन मिला है. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा है कि ग्रामीण भारत बंद का मतलब है कि किसान खेत में न जाएं. यह एक किस्म से वैचारिक बंद है. ग्रामीण भारत बंद का एक नया ट्रायल किया जा रहा है.
बता दें कि शुक्रवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं और किसानों द्वारा 9 स्थानों पर 10 से 12 बजे के लिए रोड जाम किया जाएगा. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जो कमेटी है, उससे भारत सरकार बात करे. समझौते से हल निकलना चाहिए. किसान फसल के दाम के साथ ही कर्ज माफ कराने के लिए भी लाठी खाता है. मगर, सुनवाई नहीं होती.
एमएसपी गारंटी को लेकर उन्होंने कहा कि हमने बार-बार कहा कि ये कानून बने. सरकार के साथ ही व्यापारी तय रेट पर ही फसल की खरीद करे. इसमें सरकार पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा. किसानों को लूटने वाले व्यापारियों को जरूर झटका लगेगा. कानून बनने से देश का किसान सुरक्षित रहेगा.
टिकैत ने यह अपील भी की है कि इस बंद के दौरान रास्ते में किसी को भी डिस्टर्ब नहीं किया जाएगा. बच्चों के पेपर भी हैं. वो इधर-उधर दूसरे जनपदों में भी जाएंगे. इस बंद के दौरान कार्यकर्ता सड़क पर बैठकर शांतिपूर्ण तरीके से मीटिंग करेंगे.
साथ ही 17 फरवरी को सिसौली गांव में होने वाली भारतीय किसान यूनियन की मासिक पंचायत के बारे में राकेश टिकैत ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के किसान जो बॉर्डर पर डटे हुए हैं, उसके संबंध में इस पंचायत में चर्चा की जाएगी. यह निर्णय लिया जाएगा कि इस मूवमेंट को आगे कैसे बढ़ाया जाए.
राकेश टिकैत की माने तो इस पंचायत में हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से पदाधिकारी पहुंचेंगे. साल 2020-21 के आंदोलन में जिस तरह पूरे देश के किसान एकजुट थे और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले लड़ाई लड़ी गई थी, इसमें 40 के आसपास बड़े किसान लीडर थे. हम चाहते हैं कि फिर से वही किसान संयुक्त मोर्चा बने और वही 40 लीडर उसकी अगुवाई करें और फतेह की तरफ जाएं.
बता दें कि बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा जयंत चौधरी के बीजेपी में जाने को लेकर बयान दिया गया था. उन्होंने कहा था कि जयंत चौधरी ने सही तो किया है लेकिन वो सरकार से बात करके दिल्ली हरियाणा वाले किसानों का जो मामला है, उसे खत्म करवा दें. अगर, सरकार उनकी सुनती नहीं है तो वो पीछे हट जाएंगे. नहीं तो उन्हें बड़ा नुकसान होगा.