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नागपंचमी पर काल शर्प दोष मुक्ति की पूजा, नागवासुकी मंदिर मे उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

प्रयागराज के नागवासुकी मंदिर में नाग पंचमी पर विशेष कालसर्प दोष निवारण पूजा का आयोजन भी किया गया. आचार्य और ब्राह्मणों की टोली ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच यह पूजा संपन्न कराई. मान्यता है कि कुंडली में कालसर्प योग होने से जीवन में बार-बार विघ्न, स्वास्थ्य समस्याएं और पारिवारिक अशांति बनी रहती है. नागपंचमी के दिन नागवासुकी मंदिर में विशेष पूजा कराने से यह दोष शांत होता है.

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प्रयागराज में नाग पंचमी के दिन प्रसिद्द नागवासुकी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी (Photo: ITG)
प्रयागराज में नाग पंचमी के दिन प्रसिद्द नागवासुकी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी (Photo: ITG)

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी नागपंचमी के दिन आज संगम नगरी प्रयागराज का नागवासुकी मंदिर श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया. मंगलवार को तड़के से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें मंदिर की ओर बढ़ने लगीं और दोपहर तक मंदिर परिसर जनसैलाब में तब्दील हो गया. श्रद्धालु नागराज वासुकी और भगवान तक्षक की पूजा-अर्चना कर, दूध, लावा, पुष्प और जल अर्पित कर आशीर्वाद ले रहे हैं.

यहां के नागवासुकी मंदिर का अपना विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि सम्पूर्ण सर्प जाति के अधिपति नागराज वासुकी इसी स्थान पर शिला रूप में विराजमान हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर पूजा करने से कालसर्प दोष, सर्पदोष, और विष बाधाओं से मुक्ति मिलती है. नागपंचमी के अवसर पर यहां विशेष पूजा अनुष्ठान का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु भाग लेते हैं.

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कालसर्प दोष से मुक्ति की विशेष पूजा

इस अवसर पर मंदिर में विशेष कालसर्प दोष निवारण पूजा का आयोजन भी किया गया. आचार्य और ब्राह्मणों की टोली ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच यह पूजा संपन्न कराई. श्रद्धालु परिवार सहित हवन और रुद्राभिषेक में शामिल हुए. मान्यता है कि कुंडली में कालसर्प योग होने से जीवन में बार-बार विघ्न, रुकावट, स्वास्थ्य समस्याएं और पारिवारिक अशांति बनी रहती है. नागपंचमी के दिन नागवासुकी मंदिर में विशेष पूजा कराने से यह दोष शांत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

तड़के से उमड़ी भीड़, मंदिर परिसर बना भक्ति का केंद्र

सुबह से ही प्रयागराज के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पैदल, रिक्शा और निजी वाहनों से मंदिर पहुंचने लगे थे. मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही मंदिर में लंबी कतार लग चुकी थी. श्रद्धालुओं ने दूध, जल, हल्दी, कुमकुम, बेलपत्र, पुष्प और लावा चढ़ाकर नाग देवता की आराधना की. कई श्रद्धालु अपने पूरे परिवार के साथ पहुंचे. महिलाएं थाल में पूजा सामग्री सजाकर नागदेवता की आरती कर रही थीं. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नागदेवता के शरण में झुके नजर आए. मंदिर परिसर के बाहर लगे भजन मंडलियों की मधुर आवाज ने माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया.

विशेष श्रृंगार और सजा मंदिर

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नागपंचमी के अवसर पर नागवासुकी मंदिर में नागदेवता की शिला का भव्य श्रृंगार किया गया. चांदी के छत्र, सोने की मुकुट, फूलों की माला और खास तौर पर लाए गए मेवे, फल और वस्त्रों से नागदेवता को सजाया गया. मंदिर के पुजारियों ने विधिवत पूजा की. इसके अलावा भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में पीने के पानी, मेडिकल कैंप, पंखों और शौचालय की भी व्यवस्था की गई. स्थानीय प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा के मद्देनज़र पुलिस बल की तैनाती की. जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई ताकि मंदिर परिसर में भीड़ नियंत्रित रहे.

मंदिर में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़

हर साल यहां आते हैं

वाराणसी से आई श्रद्धालु अंजना देवी कहती हैं, हम हर साल नागपंचमी पर यहां आते हैं. इस बार तो भीड़ पहले से कई गुना ज़्यादा है. मन में शांति मिलती है, लगता है जैसे साक्षात भगवान शिव के गणों का आशीर्वाद मिल रहा हो. वहीं कानपुर से आए एक श्रद्धालु विनय तिवारी ने बताया कि वे अपने बेटे की नौकरी और परिवार की उन्नति के लिए पूजा कराने आए हैं. उन्होंने कहा कालसर्प दोष की शांति कराने से मनोवांछित फल अवश्य मिलता है.

सांपों के प्रति भय नहीं, श्रद्धा का भाव

आशीष त्यागी कहते हैं नागपंचमी का पर्व केवल पूजा का आयोजन नहीं बल्कि सांपों के प्रति संरक्षण और सह-अस्तित्व की भावना को भी सुदृढ़ करता है. इस दिन कई जगहों पर सांपों को दूध पिलाने, नागों के लिए सुरक्षित बिल बनवाने और उनकी रक्षा के संकल्प लिए जाते हैं. प्रयागराज में भी सांपों के प्रति श्रद्धा और अहिंसा का भाव स्पष्ट दिखा.

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