ग्रेटर नोएडा का गांव पल्ला इन दिनों सुर्खियों में है. वजह सिर्फ जिंदा जलाकर मारी गई निक्की से जुड़ा दर्दनाक मामला ही नहीं, बल्कि उसके बड़े भाई रोहित की पत्नी मीनाक्षी भाटी के खुलासे से भी हैं. मीनाक्षी का दावा है कि उनकी शादी महज दहेज के नाम पर टूटी और सालों तक उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ी. उनका कहना है कि वह तो 9 साल में सिर्फ 9 महीने ही ससुराल में रही. जिस परिवार से आज इंसाफ की गुहार लगाई जा रही है, वही परिवार कभी उनकी चीखों पर खामोश रहा था.
मुझे दहेज के लिए छोड़ दिया
मीनाक्षी भाटी की शादी 2016 में रोहित पायला से हुई थी. वो बताती हैं मेरी शादी को नौ साल हो गए, लेकिन इन नौ सालों में मैं मुश्किल से नौ महीने ही ससुराल में रही. शुरुआत से ही दहेज को लेकर विवाद रहा. शादी में पापा ने सियाज गाड़ी दी थी, लेकिन ससुरालवालों ने कहा गाड़ी खराब है, बेटे का एक्सीडेंट करवा दिया. एक हफ्ते में गाड़ी छीन ली. उसके बाद रोज़ाना ताने, मारपीट और अपमान शुरू हो गया. मेर पिता ने 20 तोला सोना दिया था. उन् लोगों ने सप्ताह भर बाद ही कार बेच दी. मीनाक्षी का आरोप है कि उनकी सास, दोनों ननद तक उन्हें बाल पकड़कर घसीटती थीं. मीनाक्षी कहती हैं कि फर्क सिर्फ इतना रहा कि निक्की की मौत हो गई, और मैं जिंदा हूँ. बस मेरी सांसें बची रहीं, वरना हालात एक जैसे थे. मीनाक्षी का कहना है कि दोनों बहनें कहती थी अपने घर चली जाओ, हम भाई की दूसरी शादी कर लेंगे.
पंचायतों में निपटता रहा रिश्ता
मीनाक्षी का कहना है कि शादी को लेकर पंचायतें भी हुईं. लगभग सौ पंचायतें बैठीं. हर बार यही कहा जाता यहां से निकल जाओ, मेरा बेटा जो करेगा वही सही है. एक बार तो गोली तक चला दी थी मेरे पति ने. 2018 में मीनाक्षी ने रोहित के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस भी डाला. लेकिन दबाव और समझौते की राजनीति के चलते 2020 में केस वापस लेना पड़ा. उनके पिता की मौत उसी साल हुई.
बात करते-करते मीनाक्षी की आंखें भर आईं. वह बताती हैं कि पापा ने कहा था ऐसे लोगों के साथ रिश्ता मत रखो. लेकिन मैं घर बचाने की उम्मीद में चुप रही. पापा नहीं रहे, तो सब खत्म हो गया. जिस दिन वो गए, उसी दिन मैं इस घर से बेघर हो गई.
बेटियों के लिए नियम अलग क्यों
मीनाक्षी का बड़ा सवाल निक्की और कंचन की परवरिश को लेकर है. वह कहती है कि मुझे फोन रखने नहीं देते थे. लेकिन अपनी बेटियों को पार्लर खुलवाकर दिया, सोशल मीडिया पर रील बनाने दी, इंस्टाग्राम चलाने दिया. अगर बहू के लिए नियम थे तो बेटियों के लिए क्यों नहीं? एक जैसी सख्ती क्यों नहीं हुई? मीनाक्षी कहती हैं कि ससुरालवालों ने बेटियों को सपोर्ट किया, लेकिन बहू को हमेशा बोझ समझा. अगर निक्की को रोका-टोका होता, तो शायद हालात इतने बिगड़ते नहीं. बेटी चाहे मान ले या नहीं, पर माँ की बात जरूर सुनती है,
इंसाफ कैसे मिलेगा
मीनाक्षी कहती हैं कि आज वही परिवार इंसाफ की गुहार लगा रहा है. सोशल मीडिया पर निक्की का वीडियो वायरल है, बहन कंचन लगातार पोस्ट कर रही हैं सच सामने आएगा. लेकिन मीनाक्षी पूछती हैं कि इंसाफ किसे मिलेगा. मुझे भी तो किसी के बाप ने शादी करके भेजा था. मुझे भी दहेज के लिए पीटा गया, खदेड़ा गया. मेरे बाप ने भी जिंदगी की कमाई लगाई थी. तो क्या मेरी चीखें किसी ने नहीं सुनीं? अब जो अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांग रहे हैं, क्या उन्होंने कभी बहू को इंसाफ दिया?
निक्की को बहुत मानता था विपिन
मीनाक्षी कहती हैं कि लड़के में कमियां थीं, शराब पीता था, गुस्सैल था. लेकिन वो निक्की से बहुत प्यार करता था. उसे जला नहीं सकता था. हाथ पर उसका नाम तक गुदवाया था. जो इतना करता है, क्या वो इतना बड़ा कदम उठा सकता है
पंचायत और पैसों का खेल
मीनाक्षी के मुताबिक मेरे मामले में पंचायतों में कई बार सेटलमेंट की बात हुई. एक बार तो पैंतीस लाख रुपये तय हुए थे. मीनाक्षी अपने पिता को याद करते हुए कहती है कि पापा कहते थे जिस दिन मैं चला गया, उसी दिन मेरी बेटी घर से बाहर कर दी जाएगी. और हुआ भी वही. उन्होंने जिंदगी भर की कमाई बेटी की शादी में लगा दी, सोना, गाड़ी, सब दिया. पर बदले में मिला तो बस अपमान और दर्द.