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'आई लव मोहम्मद' कैंपेन ने CM योगी को थमाया बड़ा सियासी हथियार! विवाद जितना बढ़ेगा, सपा को नुकसान करेगा?

"आई लव मोहम्मद" कैंपेन को लेकर सपा नेताओं के बयानों से माहौल गरमा गया है. वहीं, सीएम योगी को इससे और ताकत मिल रही है. वो मुखर होकर इसपर बयान दे रहे हैं. जबकि, अखिलेश यादव इस मामले पर फिलहाल चुप हैं. मगर उनके कुछ मुस्लिम नेताओं और प्रवक्ताओं ने मामले को हवा देकर बीजेपी को कहीं न कहीं फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं.

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सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)

क्या यूपी की सियासत में अखिलेश यादव के PDA का काट बीजेपी को "आई लव मोहम्मद कैंपेन" के तौर पर मिल गया है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों में "आई लव मोहम्मद कैंपेन" को एक लोकल मुद्दे के बजाय एक ट्रेंड बना दिया गया है और ट्रेंड भी ऐसा जिसने यूपी की सियासत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अचानक ही वह मुद्दा थमा दिया, जिसने योगी को 'एंग्री योगी' बना दिया और मुख्यमंत्री खुलकर अब हिंदुत्व की पिच पर उतर आए हैं. 

सियासी जानकार भी कहते हैं कि अगर यह मुद्दा चल निकला तो PDA की हवा निकल जाएगी, क्योंकि नवरात्र के समय "आई लव मोहम्मद कैंपेन" का कैंपेन कम से कम मुख्यमंत्री के लिए तो सियासी तौर पर सबसे मुफीद बन गया है. 

बरेली में "आई लव मोहम्मद" प्रदर्शन के बाद समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता और मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा ने कहा कि अब लखनऊ में "आई लव मोहम्मद " की भीड़ का सैलाब आएगा, पुलिसवालों अपनी गोलियां तैयार रखना. इसके बाद समाजवादी पार्टी हरकत में आई और उसने सुमैया राणा से मामले की सफाई देने को कहा. 

वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरीके से इस मुद्दे पर मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ खुलकर अपनी भड़ास निकाली है, साथ ही मौलाना की गिरफ्तारी और उनके करीबियों पर जबरदस्त जैसी कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई चल रही है, उसने प्रदेश में योगी के एक नए तेवर को सामने रख दिया है. योगी ने मौलाना को सबक सिखाने और डेंट पेंट करने की बात कही है, इसके बाद से पूरा माहौल ही गरमा गया है. 

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यह मौका भी ऐसा है जब नवरात्रि चल रही है. दूसरी तरफ "आई लव मोहम्मद" का कैंपेन मुस्लिम इलाकों में जोर पकड़ रहा है. मौलाना बाहर निकाल कर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रशासन और पुलिस के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं, तो इस बीच योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे को हिंदुत्व बनाम मुस्लिम कट्टरपंथ बना दिया, जिसे लोग हिंदू बना मुस्लिम के बजाय हिंदुत्व बनाम पीडीए का नाम दे रहे हैं. 

मुख्यमंत्री के बयानों ने एक तरीके से विपक्ष समेत मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं को सख्त संदेश भेज दिया है. जिस तरीके से मुख्यमंत्री योगी ने "आई लव मोहम्मद" का कैंपेन चलाने वालों को चंड- मुंड करार दिया, जिस तरीके से यह कह दिया कि हिंदुओं के पवित्र दिनों में जो कोई जबरन माहौल खराब करने की कोशिश करेगा, उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा, ये सब सियासी तौर पर बड़ा संदेश दे रहा है. 

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समाजवादी पार्टी के लिए दुविधा की स्थिति यह बनी हुई है कि "आई लव मोहम्मद" के कैंपेन पर तो वह अपनी बात रख ले रही है, लेकिन उन्हें भी मालूम है कि यह मामला अगर ज्यादा तूल पकड़ गया तो ये हिंदू बनाम मुस्लिम हो सकता है. खासकर जब समय नवरात्र का हो. ऐसे में एक छोटी सियासी गलती भी उन्हें भारी पड़ सकती है. 

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विपक्षी पार्टी को यह भी मालूम है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाति के नाम पर तो घेरा जा सकता है लेकिन अगर मुद्दा हिंदुत्व या धर्म के पिच पर आ गया सपा नहीं टिक पाएगी. फिलहाल, मुख्यमंत्री योगी के तेवर से तो साफ लग रहा है कि वह इस मुद्दे को तब तक बनाए रखेंगे जब कि ये तक पूरी तरीके से हावी ना हो जाए. और अखिलेश यादव चाहेंगे कि ये "आई लव मोहम्मद" का मामला जल्द से जल्द शांत हो जाए. 

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