लखनऊ साइबर थाना क्षेत्र में एक परिवार ने आरोप लगाया कि नीट पास करवाने और बाराबंकी व सीतापुर के मेडिकल कॉलेजों में 100% एडमिशन दिलाने के नाम पर उनसे 1.26 करोड़ रुपए ठगे गए. जांच शुरू हुई तो पुलिस ने चिनहट के कठौता झील के पास छापा मारकर दो जालसाजों प्रेमशंकर उर्फ अभिनव शर्मा और संतोष कुमार को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में पता चला कि दोनों अब तक 100 करोड़ से ज्यादा ठगी कर चुके हैं. आइये जानते हैं फ्रॉड की पूरी कहानी...
जेल में रहने के दौरान भी ठगी करता रहा
नीट एग्जाम पास कराने और एमबीबीएस एडमिशन दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाला प्रेमशंकर विद्यार्थी आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया. आरोपी पिछले 14 साल से दिल्ली, बिहार, गुजरात और यूपी में एडमिशन रैकेट चला रहा था. ठगी से कमाए पैसों से उसने 5 करोड़ का आलीशान घर, करोड़ों की संपत्ति और लग्जरी लाइफ खड़ी कर ली थी. हैरानी की बात ये है कि आरोपी 6 साल जेल में रहने के दौरान भी ठगी करता रहा, वहीं से काउंसलिंग तक करता था.
डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने बताया कि गैंग का मास्टरमाइंड प्रेमशंकर ने जीएलए मथुरा से बीटेक किया था. कॉलेज के दिनों में ही एडमिशन कराकर कमीशन कमाने लगा. बाद में यही उसका सबसे बड़ा कमाई का रास्ता बन गया. अलग-अलग राज्यों में कंसल्टेंसी खोलता, नीट–इंजीनियरिंग एडमिशन के नाम पर मोटा पैसा ऐंठता और फिर ऑफिस बंद करके फरार हो जाता.
ठगी के केस में पहले भी चुका है जेल
शातिर ठग बिहार की बेऊर जेल में ठगी के केस में बंद था, लेकिन वहीं बैठकर काउंसलिंग करता रहा. जेल में उसकी मुलाकात संतोष से हुई. प्लान के मुताबिक, पहले संतोष को बेल दिलाई, फिर उसी के आईडी प्रूफ से बाहर रहकर ठगी का नेटवर्क चलाने लगा.
पुलिस को चकमा देकर ट्रेन से कूदकर हुआ था फरार
2024 में सहारनपुर में कोर्ट प्रोडक्शन के दौरान पुलिस को चकमा देकर ट्रेन से कूदकर फरार हो गया. फरारी के दौरान वह फर्जी आईडी लेकर अलग-अलग होटलों में छिपता रहा और लखनऊ में नया ऑफिस खोलकर ठगी करता रहा.
पहले ठगी करो, फिर सुलह कराओ
पुलिस के अनुसार, प्रेमशंकर का तरीका था कि पहले ठगी करो, फिर जब मामला पुलिस तक पहुंचे तो पीड़ित को आधे–पौन पैसे लौटाकर केस खत्म करवाओ. यही मॉडल अपनाकर फरारी के दौरान भी वह करोड़ों इकट्ठा कर चुका था और उन पैसों से केस निपटाकर आत्मसमर्पण करने की तैयारी में था.
आरोपी की बातचीत इतनी चतुराई भरी थी कि कोई भी पैरेंट 10 मिनट में भरोसा कर लेता. उसका लखनऊ ऑफिस किसी कॉर्पोरेट कंपनी जैसा चलता था- 50 कर्मचारी, फोन जमा, क्लाइंट आने पर निजी कार में मास्टरमाइंड की एंट्री और फर्जी काउंसलिंग.
करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाई
पुलिस को पता चला कि प्रेम शंकर ने औरंगाबाद में 5 करोड़ का घर, बनारस और बिहार में भी करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीदी. लखनऊ में ज्वैलरी में भारी निवेश किया. उसके घर में इम्पोर्टेड लक्जरी आइटम लगे थे.
लखनऊ के एक पेंटहाउस से निकलने के बाद पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल रहा था. फर्जी आईडी के कारण ट्रैक करना मुश्किल था. लेकिन मूवर–पैकर कंपनी से मिले एक संकेत ने पुलिस को उसकी नई लोकेशन तक पहुंचाया और वहीं से उसे दबोच लिया गया.
प्रेमशंकर ने डीपीएस जूनियर प्रेप स्कूल खोलने की योजना भी बनाई थी. प्रमोशन के लिए पटना में गोविंदा और वाराणसी में प्रीति जिंटा को बुलाया गया था. 70 लोगों को फ्रेंचाइजी देकर 3-3 लाख की वसूली की, और यूनिफॉर्म–मटेरियल के नाम पर भी लाखों ऐंठे.