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माओवादियों की रिहाई को लेकर केंद्र, ओड़िशा सरकार को नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने बंधक बनाए गए बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक झिना हिकाका को छुड़ाने के बदले जेल से माओवादियों की रिहाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र और ओड़िशा सरकार से जवाब मांगा. न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने प्रतिवादियों को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा.

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उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने बंधक बनाए गए बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक झिना हिकाका को छुड़ाने के बदले जेल से माओवादियों की रिहाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र और ओड़िशा सरकार से जवाब मांगा. न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने प्रतिवादियों को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा.

प्रारंभ में शीर्ष अदालत ने कोई नोटिस जारी करने से अनिच्छा जतायी लेकिन जब मेजर जनरल (सेवानिवृत) गांगुरदेप बख्शी ने अपने आग्रह को लेकर दबाव बनाया तब वह मान गयी.

याचिकाकर्ता ने कहा कि अपहृत विधायक की रिहाई का रास्ता सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार पहले ही पांच माओवादियों को रिहा कर चुकी है. सवालों का जवाब देते हुए (बख्शी के) वकील ने कहा कि माओवादियों की रिहाई के लिए जमानत अर्जी उनके समर्थकों द्वारा दायर की गयी है और राज्य सरकार ने उसका विरोध नहीं करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि पूरी कवायद सरकार और माओवादियों के बीच साठगांठ का हिस्सा है.

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न्यायालय ने कहा कि इस चरण में, ‘यदि ऐसा है तो हमारे हस्तक्षेप की गुजाइंश बहुत सीमित है. लेकिन आप मजिस्ट्रेट की अदालत में जा सकते हैं और चुनौती दे सकते हैं.’ हालांकि बख्शी के वकील ने इस बात पर बल दिया कि इस मुद्दे पर कम से कम राज्य और केंद्र को नोटिस तो भेजा जाए, जिसके बाद शीर्ष अदालत मान गयी.
अदालत में मौजूद सॉलीसिटर जनरल रोहिनटन एफ नरीमन ने कहा कि माओवादियों के उग्रवाद से निबटने के लिए कानून बनाने संबंधी याचिकाकर्ता का अनुरोध एक वृहत मुद्दा है और अतएव वह मौजूदा संकट के लिए प्रासंगिक नहीं है. हालांकि पीठ ने कहा कि चूंकि केंद्र एक प्रासंगिक पार्टी है, ऐसे में वह केंद्र सरकार और ओड़िशा सरकार दोनों को ही नोटिस जारी करना चाहेगी.
उल्लेखनीय है कि 24 मार्च को कोरापुट जिले से हिकाका का अपहरण कर लिया गया था. वह एक राजनीतिक बैठक से लौट रहे थे.

आतंकवाद निरोधक अभियान विशेषज्ञ बख्शी ने शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य सरकार को माओवादियों को रिहा करने से रोका जाना चाहिए क्योंकि सुरक्षाबलों ने अपनी जान की बाजी लगाकर इन माओवादियों को पकड़ा था. उन्होंने कहा कि उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की जाए क्योंकि माओवादियों द्वारा तय समय सीमा बुधवार शाम पांच बजे ही खत्म होने वाली थी.

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बख्शी के अनुरोध पर सुनवाई करने पर सहमत होते हुए पीठ ने हालांकि बहुत देर से अदालत पहुंचने पर उनकी खिंचाई भी की. पीठ ने कहा, ‘आप अंतिम घड़ी में आकर यह नहीं कह सकते हैं कि तत्काल सुनवाई की जाए.’ बख्शी ने यह भी कहा कि मेगास्टार राजकुमार के अपहरण के समय उत्पन्न संकट के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा तैयार दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए तथा राज्य सरकार को महज एक व्यक्ति के लिए झुकने नहीं दिया जाना चाहिए. हिकाका का अपहरण करने वाली भाकपा (माओवादी) की आंध्र ओड़िशा सीमा विशेष जोनल समिति ने विधायक को छोड़े जाने के बदले में कट्टर माओवादी चेडा भूषणम उर्फ घासी समेत 30 कैदियों को रिहा करने की मांग है.

घासी 55 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में आरोपी है. हिकाका से पहले 14 मार्च को दो इतालवी नागरिकों-बोसुस्को और क्लौडिया कोलांगेलो को माओवादियों ने कंधमाल जिले के डारींगबादी इलाके से अगवा कर लिया था. 61 वर्षीय इतावली पर्यटक कोलांगेलो को 25 मार्च को सद्भावना स्वरूप रिहा कर दिया गया जबकि जेल से पांच माओवादियों को छोड़े जाने के बाद पुरी के पर्यटक मार्गदर्शक बोसुस्को को 29 दिन बाद 12 अप्रैल को रिहा किया गया.

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