टेक उद्योग के दिग्गज एलन मस्क ने पिछले साल दिसंबर में H-1B वीजा विवाद को लेकर एक कड़ा बयान दिया था. मस्क ने अपनी पोस्ट में कहा था, "मैं इस मुद्दे पर ऐसी जंग छेड़ दूंगा जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते." उन्होंने यह स्पष्ट किया कि H-1B वीज़ा न केवल उनकी कंपनियों के लिए, बल्कि अमेरिका की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के लिए बेहद जरूरी है. मस्क ने H-1B वीजा की अहमियत पर अपनी राय रखते हुए कहा -“मैं अमेरिका में इसलिए हूं, और मेरे जैसे कई अहम लोग भी हैं जिन्होंने SpaceX, Tesla और सैकड़ों कंपनियां बनाकर अमेरिका को मजबूत किया, यह सब H-1B वीजा की वजह से संभव हुआ है. ''
मस्क ने गुस्से में कहा- '' Fuck yourself in the face. I will go to war on this issue the likes of which you cannot possibly comprehend. जिसका साफ मतलब है मस्क का कहना है कि एक बड़ा कदम लेकर पीछे हटो. मैं इस मुद्दे पर ऐसी जंग छेड़ दूंगा जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते. ”यानी एलन मस्क बहुत गुस्से में हैं और ये साफ कर रहे हैं कि H1B वीजा के मसले पर वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.

एलन मस्क हैं H-1B वीजा के बड़े समर्थक
एलन मस्क अपनी कंपनियों की सफलता के लिए विदेशी कामगारों पर भरोसा करते हैं और H-1B वीजा का बहुत समर्थन करते हैं. बड़ी टेक कंपनियां जैसे अमेजन, कॉग्निज़ेंट और इंफोसिस भी H-1B वीज़ा के जरिए कुशल कामगारों को अपनी टीम में शामिल करती हैं. H-1B वीज़ा प्रोग्राम के बड़े समर्थक मस्क इसे अपने निजी अनुभव और कारोबारी जरूरतों दोनों के आधार पर समर्थन देते हैं. बड़ी पदों के लिए टेस्ला अब विदेशी प्रतिभाओं पर लगातार निर्भर हो रही है. नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में टेस्ला H-1B वीजा देने वाली कंपनियों की लिस्ट में 16वें नंबर पर थी.
H-1B वीजा पर अमेरिका आए थे मस्क
एलन मस्क ने अपने करियर की शुरुआत H-1B वीजा पर अमेरिका में काम करके की थी. बाद में वह इसके बड़े समर्थक बन गए. मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि वे उन लोगों में से हैं जिन्होंने H-1B वीजा पर आकर टेस्ला, स्पेसएक्स और कई अन्य कंपनियां बनाई और अमेरिका को मजबूत किया. उन्होंने कहा कि इसके समर्थन में वे जरूरत पड़ी तो संघर्ष करने के लिए भी तैयार हैं.
क्या है H-1B वीजा
H‑1B वीजा एक प्रकार का अस्थायी वर्क वीजा है, जो अमेरिका की कंपनियों को विदेशी कुशल कर्मचारियों को काम पर रखने की अनुमति देता है. आसान भाषा में कहें तो अगर कोई विदेशी कर्मचारी किसी टेक कंपनी या दूसरी बड़ी कंपनी में विशेष काम करने के लिए आता है, तो उसे H‑1B वीज़ा मिलता है. ये वीज़ा आमतौर पर तीन साल के लिए होता है, जिसे बढ़ाकर छह साल तक किया जा सकता है. इसके जरिए विदेशी लोग अमेरिका में काम और पैसा कमाने आते हैं, और कंपनियां अपनी नौकरी के लिए अच्छे कुशल कामगार रख पाती हैं.
क्या है एलन मस्क की राय
इससे पहले मस्क ने कहा था कि यह सिस्टम “broken” (टूटा हुआ) है और इसमें बड़े सुधारों की ज़रूरत है. उन्होंने सुझाव दिया है कि H-1B वीजा धारकों की न्यूनतम सैलरी बढ़ाई जाए और वीजा बनाए रखने के लिए वार्षिक शुल्क लगाया जाए. जब कुछ लोग H-1B सिस्टम की आलोचना कर रहे थे, तो मस्क ने कहा कि यह प्रोग्राम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उन्हीं जैसे लोगों ने अमेरिका को टेक्नॉलॉजी, इनोवेशन और नई कंपनियों से मजबूत बनाया है. उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर इतनी लड़ाई करेंगे कि विरोधियों को समझना मुश्किल होगा.
किस वजह से हो रहा विवाद
कुछ लोगों का कहना है कि इस वीजा से स्थानीय (अमेरिकी) मजदूरों की नौकरियां प्रभावित होती हैं, क्योंकि कंपनियां कम वेतन पर H-1B धारकों को नौकरी दे देती हैं. दूसरी ओर, टेक इंडस्ट्री और कई बिजनेसमैन का दावा है कि स्पेशलाइज्ड/उच्च कौशल वाले कार्यों के लिए घरेलू श्रमिकों की कमी है, और विदेशी प्रतिभाओं (जिन्होंने H-1B वीज़ा के जरिए अमेरिका आकर काम किया) ने अमेरिका की इनोवेशन और कम्पणी विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. मस्क और समर्थकों का तर्क है कि अगर न्यूनतम वेतन बढ़े और विदेशी कामगारों को रखने की लागत अधिक हो जाए, तो कंपनियों को “पहले घरेलू श्रमिकों की भर्ती” की ओर प्रोत्साहन मिलेगा.