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चीन की बिजनेसवुमन की सनक, अफेयर के लिए दिए करोड़ों, रिश्ता टूटा तो मांगे पैसे

प्यार के चक्कर में एक महिला बिजनेसवुमन ने उठाया ऐसा कदम, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है.

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जूनियर से अफेयर के लिए महिला ने खर्च किए करोड़ों (सांकेतिक तस्वीर-Pexel
जूनियर से अफेयर के लिए महिला ने खर्च किए करोड़ों (सांकेतिक तस्वीर-Pexel

चीन के चोंगकिंग शहर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक महिला बिजनेसवुमन ने अपने से छोटे और शादीशुदा सबऑर्डिनेट के साथ अफेयर के लिए न सिर्फ अपने रिश्ते को दांव पर लगाया बल्कि उसके तलाक के लिए भारी-भरकम रकम भी चुकाई. लेकिन जब यह रिश्ता टूट गया, तो महिला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर अपने पैसे वापस मांग लिए.

रिपोर्ट के मुताबिक, बिजनेसवुमन झू (Zhu) और उनके कर्मचारी हे (He) दोनों शादीशुदा थे. इसी दौरान झू को अपने कर्मचारी से लगाव हो गया और दोनों के बीच अफेयर शुरू हो गया. उन्होंने तय किया कि दोनों अपने-अपने जीवनसाथियों से तलाक लेंगे और साथ नई जिंदगी शुरू करेंगे.

झू ने हे के तलाक को आसान बनाने के लिए उसकी पत्नी चेन (Chen) को सीधे 3 मिलियन युआन (करीब 3 करोड़ 50 लाख रुपये) ट्रांसफर कर दिए. यह रकम तलाक के बदले मुआवजा और बच्चे की परवरिश के लिए बताई गई. पैसे मिलने के बाद हे ने तलाक ले लिया और झू के साथ रहने लगा.

रिश्ता टूटा तो मांग लिए पैसे

एक साल तक साथ रहने के बाद झू और हे के बीच मतभेद शुरू हो गए. दोनों ने महसूस किया कि वे एक-दूसरे के साथ खुश नहीं रह सकते. इसके बाद झू ने कोर्ट में केस दर्ज कर 3 मिलियन युआन की पूरी रकम वापस मांगी.

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पहले ट्रायल में चोंगकिंग की अदालत ने झू के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने माना कि यह भुगतान पब्लिक ऑर्डर और अच्छे नैतिक मूल्यों के खिलाफ है, इसलिए इसे अमान्य गिफ्ट माना जाएगा. अदालत ने हे और चेन दोनों को रकम लौटाने का आदेश दिया.

ऊपरी अदालत ने पलटा फैसला

हालांकि, हे और चेन ने फैसले को चुनौती दी. मामला अपील कोर्ट तक पहुंचा. उच्च अदालत ने कहा कि झू यह साबित नहीं कर पाईं कि यह रकम निजी तौर पर चेन को गिफ्ट दी गई थी. बल्कि इसे तलाक निपटान और बच्चे की परवरिश के खर्च के रूप में देखा गया.

कोर्ट ने झू के आचरण पर भी सवाल उठाए. जजों ने टिप्पणी की कि झू ने अपनी संपत्ति का इस्तेमाल करके हे का तलाक जल्दी करवाया और जब रिश्ता टूट गया तो पैसे वापस लेने की कोशिश की. अदालत ने इसे ईमानदारी के खिलाफ बताया और रकम लौटाने की मांग खारिज कर दी.

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