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सांप का तेल, मगरमच्छ की चर्बी, घोड़े के दांत... उड़े बाल लाने के सदियों पुराने ये थे नुस्खे

गंजापन आज की समस्या नहीं हैं. हजारों साल से लोग इससे जूझ रहे हैं और इसके निदान में लगे हैं. इसके लिए सदियों से लोग कई तरह के नुस्खे इस्तेमाल करते आए हैं. किसी जमाने में सिर पर बाल लाने के लिए लोग दरियाई घोड़े, सांप और मगरमच्छ की चर्बी तक का इस्तेमाल करते थे. जानते हैं कुछ ऐसे ही इलाज और नुस्खे की कहानियां जो सदियों पहले से लेकर आजतक इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

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बालों को झड़ने से रोकने के लिए सदियों से अजीबोगरीब नुस्खे अपनाए जाते रहे हैं (Photo - Pexels)
बालों को झड़ने से रोकने के लिए सदियों से अजीबोगरीब नुस्खे अपनाए जाते रहे हैं (Photo - Pexels)

बाल झड़ना और गंजापन आज एक आम बीमारी बन गई है. कई कम उम्र के लोग भी इस समस्या से परेशान हैं. बड़ी बात यह है कि ये परेशानी नई नहीं बल्कि हजारों साल पुरानी है. सदियों पहले भी लोगों ने बालों को झड़ने से रोकने के लिए और नए बाल लाने के लिए कई तरह के इलाजों का ईजाद किया. खूब सारे नुस्खे अपनाए. इनमें से कई तो काफी अजीबोगरीब थे. 

लोगों ने हजारों सालों से बालों को झड़ने से रोकने के कई तरकीब अपनाए. अब ये जानना दिलचस्प होगा कि क्या कभी इन इलाजों का कोई खास फायदा हुआ या फिर ये नुस्खे सिर्फ कहानियां बनकर रह गए.

दरियाई घोड़े, सांप और मगरमच्छ की चर्बी का नुस्खा
हिस्ट्री.कॉम के मुताबिक, 1550 ईसा पूर्व का एक चिकित्सा ग्रंथ- एबर्स पेपिरस में बालों को झड़ने से रोकने के लिए कुछ उपचार सुझाए गए थे. प्राचीन इजिप्ट में के लोग गंजेपन से परेशान रहते थे.  एबर्स पेपिरस में बालों को झड़ने और नए बाल लाने के कुछ उपाय बताए गए थे. इनमें दरियाई घोड़े, मगरमच्छ, बिलाव, सांप और आइबेक्स की चर्बी का मिश्रण सिर में लगाना. 

साही के बालों को पानी में उबालकर चार दिनों तक सिर की त्वचा पर लगाना और मादा ग्रेहाउंड के पैरों को गधे के खुर के साथ तेल में भूनकर सिर पर लगाने जैसे उपाय शामिल थे. 

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कबूतर की बीट और चुकंदर का मिश्रण 
प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स का जन्म लगभग 460 ईसा पूर्व हुआ था. उन्हें पश्चिमी चिकित्सा का जनक कहा जाता है. वह गंजेपन की समस्या से परेशान थे.  उन्होंने खुद को और अपने साथी क्रोम डोम्स को अफीम, हॉर्सरैडिश, कबूतर की बीट, चुकंदर और मसालों का एक मिश्रण लगाने की सलाह दी. इससे किसी के भी बाल झड़ने बंद नहीं हुए.

घोड़े के दांतों और भालू की चर्बी को पीसकर सिर पर लगाना
जब जूलियस सीजर के बाल झड़ने लगे, तो उन्होंने अपने चमकदार सिर को छिपाने के लिए हर संभव कोशिश की. सबसे पहले, उन्होंने अपने पतले बालों को पीछे की ओर लंबा किया और कंघी करने के शुरुआती तरीके के रूप में उसे अपने सिर पर लगाया.

जब इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ तो उनकी प्रेमिका क्लियोपेट्रा ने चूहों, घोड़े के दांतों और भालू की चर्बी को पीसकर बनाया गया एक घरेलू उपाय सुझाया. इसका भी कोई खास असर नहीं हुआ, इसलिए रोमन तानाशाह ने अपने सिर को लॉरेल पुष्पमाला से ढकना शुरू कर दिया.

प्राचीन हेयरपीस या विग का ट्रेंड
प्राचीन काल में प्रचलित हेयरपीस को 17वीं शताब्दी में फ्रांस के राजा लुई तेरहवें जैसे राजघरानों ने पुनर्जीवित किया. जब वे अपने गंजे सिर को छिपाने के लिए टोपी पहनते थे. बड़े-बड़े विग, जिनमें अक्सर घुंघराले बाल होते थे और जिन पर सफेद पाउडर छिड़का होता था. फ्रांसीसी और अंग्रेज रईसों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए. धनी अमेरिकी उपनिवेशवादियों ने इस विग को अमेरिकी क्रांति तक एक स्टेटस सिंबल के रूप में अपनाया, जिसने राजशाही से प्रेरित फ़ैशन पर लगाम लगा दी.

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सांप के तेल से बाल लाने का दावा
संयुक्त राज्य अमेरिका में 19वीं सदी में सिर पर बाल लाने के लिए एक नुस्खा काफी प्रचलित हुआ. ये था - तथाकथित "साँप का तेल". सांप का तेल बेचने वाले लोग असल में डॉक्टरों के वेश में ठग थे. ऐसे लोग सभी बीमारियों का इलाज करने का दावा करते थे. इनमें से कुछ टॉनिक कथित तौर पर बालों के झड़ने को रोकने के लिए बनाए गए थे, जिनमें सेवन सदरलैंड सिस्टर्स हेयर ग्रोवर नामक एक मरहम भी शामिल था. इसे सांप के तेल तैयार करने का दावा किया जाता था. 

सिर पर ठंडी चाय और नींबू मलना
गंजेपन का ऐसा इलाज जो काफी आसान हो, इसे इस्तेमाल करना हर कोई चाहेगा. 19वीं सदी में इंग्लैंड में झड़ते बालों से परेशान लोग अपने सिर पर ठंडी चाय और नींबू के टुकड़े मलते थे. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि नतीजे बहुत अच्छे नहीं रहे.

सिर पर सक्शन मशीन से रोम छिद्र खोलना  
रेडियो और ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी क्रॉस्ली कॉर्पोरेशन ने 1936 में जेरवैक नामक एक मशीन लॉन्च करके पर्सनल केयर बाजार में कदम रखा. यह एक ऐसी मशीन थी जो कथित तौर पर बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए सक्शन का इस्तेमाल करती थी. इससे सिर के बाल के रोम छिद्र खुल जाने का दावा किया जाता था. यह प्रणाली घरेलू इस्तेमाल के लिए किराए पर ली जा सकती थी या नाई की दुकानों में मिल सकती थी. इसके इस्तेमाल के दौरान लोगों को सिगरेट और अखबार के साथ आराम करने के लिए कहा जाता था. 

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हेयर ट्रांसप्लांट
1939 में, एक जापानी त्वचा विशेषज्ञ ने सिर, भौंहों, चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों से बालों को लेकर गंजे हो चुके धब्बों पर बाल प्रत्यारोपित करने की शुरुआत की. दो दशक बाद, न्यूयॉर्क के डॉक्टर नॉर्मन ओरेंट्रेच ने इस हेयर ट्रांसप्लांट को लोकप्रिय बनाया.  पुरुषों में होने वाले गंजेपन का यह उपचार आज भी प्रचलित है, लेकिन इसके परिणाम अधिक प्राकृतिक नहीं हैं.

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