राजनेताओं की साख और शख्सियत का ग्राफ जनता की नजरों में कैसे गिरता जा रहा है, इसे अन्ना के अगस्त आंदोलन के दौरान साफ-साफ देखा गया. लेकिन क्या राजनेताओं में अब जनता को विलेन भी नजर आने लगे हैं? इसके लिए इंडिया टुडे-साइनोवेट ने पांच महानगरों के युवाओं से जनमत सर्वेक्षण कराया. इसमें उभरकर आए राजनीति के विलेन टॉप 5.
शरद पवार
महंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती गयी, खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छूते रहे और कृषि मंत्री शरद पवार का रवैया गैर-जिम्मेदार बना रहा. शहरी युवाओं को लगता है कि पवार खुद तो शाही जिंदगी जीते हैं, लेकिन जिनकी रहनुमाई करते हैं, उनका कोई खयाल नहीं रहते. इसीलिए सर्वे में शामिल नौजवानों ने पवार को करार दिया हैं राजनीति का विलेन नंबर 1.
जिस वक्त देश के किसान आत्महत्या कर रहे थे, तब कृषि मंत्री शरद पवार आईसीसी और बीसीसीआई की राजनीति में व्यस्त थे. देश की जनता जब महंगाई की मार से कराह रही थी, तब शरद पवार टका सा जवाब दे रहे थे कि वो कोई ज्योतिषी नहीं हैं. शरद पवार के ये तेवर देश की युवा पीढ़ी को बेहद नागवार गुजरे हैं. इंडिया टुडे-साइनोवेट के सर्वे में पांच शहरों के युवाओं ने राजनीति का सबसे बड़ा विलेन शरद पवार को माना और उन्हें 10 में से 6.9 नंबर दिया है. शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज माने जाते हैं, लेकिन उन्हें सबसे ज़्यादा नापसंद करते हैं मुंबई के युवा. नापसंदीदा नेताओं के सर्वे में शरद पवार को सबसे ज़्यादा 8.1 नंबर मुंबई में ही मिला. बैंगलोर और कोलकाता के युवाओं ने भी उन्हें विलेन नंबर वन माना, जबकि दिल्ली के नौजवानों की नजर में पवार राजनीति के चौथे सबसे बड़े खलनायक हैं.
महाराष्ट्र से लेकर देश और क्रिकेट की राजनीति चलाने वाले शरद पवार को अब सोचना होगा कि वो देश की नई पीढ़ी पर अपने भरोसे का सिक्का कैसे चलाएं.
दिनेश त्रिवेदी
दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री बने पांच महीने भी नहीं हुए कि पांच रेल हादसे हो गये. ऐसे हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाना तो दूर, वो हमेशा ऐसा बयान देते रहे, जो पीड़ितों के दिल पर चोट करता है. रेल मंत्री के इसी रवैए ने उन्हें देश के पांच महानगरों के नौजवानों के बीच बना दिया है राजनीति का विलेन नंबर 2.
इंडिया टुडे-साइनोवेट के हेट मीटर यानी नापसंदीदा नेताओं की लिस्ट में युवाओं ने दिनेश त्रिवेदी को 10 में से 6.74 नंबर दिए. दिल्ली के युवाओं ने तो उन्हें सबसे ज़्यादा नापसंद किया और 10 में से 8.57 नंबर दे डाला. बैंगलोर में वो दूसरे नंबर हैं तो मुंबई में नापसंदीदा नेताओं की लिस्ट में चौथी पायदान पर. दिनेश त्रिवेदी 2009 में पहली बार सांसद बने और दो साल बाद कैबिनेट मंत्री. लेकिन उनके सियासी सफर की स्पीड जितनी तेज़ है, उतनी ही तेज़ी से बढ़ा है युवाओं का गुस्सा.
मनमोहन सिंह
महानगरीय युवाओं की नजर में राजनीति के विलेन नंबर 4 लाल कृष्ण आडवाणी गाहे-बगाहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सबसे कमजोर प्रधानमंत्री कहते हैं. इत्तफाक देखिए कि शहरी युवा उसी मनमोहन सिंह को मानते हैं राजनीति के विलेन नंबर 3. महंगाई और भ्रष्टाचार के मसले पर प्रधानमंत्री का ढुलमुल रवैया शहरी युवाओं को रास नहीं आता.
अर्थशास्त्री मगर गैर-राजनीतिक माने जाने वाले मनमोहन सिंह ने 22 मई 2004 को जब देश की बागडोर संभाली तो लोगों को उनसे काफी उम्मीदें थी. लेकिन भ्रष्टाचार से लेकर महंगाई तक हर मसले पर इनके ढीले-ढाले रवैये और देरी से कदम उठाने की आदत से युवा इन्हें पसंद नहीं करते.
इंडियाटुडे-साइनोवेट जनमत सर्वेक्षण के मुताबिक मनमोहन के भरोसे और वादे पर युवाओं को यकीन नहीं है. महंगाई आसमान छू रही है और आर्थिक विकास दर 7 फीसदी के नीचे लुढ़कने लगी है. तभी तो विलेन के लिए 10 प्वाइंट में मनमोहन को मिले हैं 6.65 प्वाइंट. दिल्ली और कोलकाता के युवाओं के लिए तो मनमोहन हैं दूसरे नंबर का विलेन. इस सर्वे में मनमोहन देश के तीन महानगरों- मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में दूसरे सबसे ज्यादा नापसंद किये जाने वाले नेता हैं.
लालकृष्ण आडवाणी
इंडिया टुडे-साइनोवेट जनमत सर्वे में अगर शहरी युवाओं ने गडकरी को विलेन नंबर 5 माना तो चौथे नंबर पर भी बीजेपी के ही वयोवृद्ध नेता आते हैं. जी हां, वो हैं लाल कृष्ण आडवाणी. शहरी युवाओं की नजर में आडवाणी की इमेज एक ऐसे नेता की है, जिसके पास ना तो कोई व्यापक नजरिया है और ना ही सिस्टम को बदलने के लिए ठोस रणनीति. 84 साल की उम्र में भी रथयात्रा पर निकल जाने वाले बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश का युवा वर्ग विलेन मानता है. इंडियाटुडे-साइनोवेट जनमत सर्वेक्षण में 18 से 25 साल के 5 महानगरों के युवाओं की राय में आडवाणी हैं विलेन नंबर 4. नापसंदी के 10 प्वाइंट में उन्हें मिला है 6.36. पांच महानगरों में दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा नापसंद किये जाते हैं आडवाणी तो चेन्नई में पांचवें नंबर पर. 1990 के दशक में कट्टर हिंदुत्व के नायक के तौर पर उभरे आडवाणी बेशक कुछ समय से अपने सोच में बदलाव का इशारा करते रहे हों, लेकिन ये बदलाव युवाओं पर असरदार छाप नहीं छोड़ सका है. युवाओं का मानना है कि कभी पीएम इन वेटिंग रहे आडवाणी के पास देश के लिए कोई ठोस और वैकल्पिक एजेंडा नहीं है और इसीलिए वो हैं विलेन नंबर 4.
नितिन गडकरी
विलेन नंबर 5 हैं बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी. शहरी युवाओं की राय है कि कॉर्पोरेट कल्चर वाले गडकरी ना तो बीजेपी को युवा पीढ़ी से जोड़ पाए, ना बूढ़ी हो चली रथयात्रा की राजनीति से उसे बाहर निकाल पाए.
2009 में नितिन गडकरी को बीजेपी की कमान देते हुए संघ और बीजेपी ने सोचा यही था कि गडकरी की अगुवाई में पार्टी युवा भारत की नब्ज़ आसानी से पकड़ लेगी. लेकिन लगता है कि गडकरी ना तो बीजेपी पर पकड़ बना पाए और ना ही युवाओं के दिल में जगह. उनके ओछे बोल से भी इमेज बिगड़ी. इंडिया टुडे-साइनोवेट के ताज़ातरीन सर्वे में गडकरी उन टॉप फाइव नेताओं में पांचवें नंबर पर हैं, जिन्हें देश की युवा पीढ़ी सबसे ज़्यादा नापसंद करती है. इंडिया टुडे-साइनोवेट ने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और बैंगलोर में 18 से 25 साल की उम्र के लोगों से रायशुमारी की, तो राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज़्यादा नापसंद नेताओं की लिस्ट में 6.04 नंबर पाकर पांचवें नंबर पर हैं गडकरी. नितिन गडकरी पर बीजेपी को राष्ट्रीय राजनीति में चमकाने की जिम्मेदारी है, लेकिन देश के राजनीतिक हेडक्वॉर्टर दिल्ली में ही युवाओं की नज़र में गडकरी की इमेज अच्छी नहीं है. दिल्ली के युवाओं ने गडकरी को 10 में से 6.95 नंबर दिए और नापसंदीदा नेताओं की लिस्ट में उन्हें दूसरे नंबर पर पहुंचा दिया. अपने आगलगाऊ भाषणों के लिए मशहूर गडकरी को अब सोचना होगा कि वो युवाओं के दिल में सुलग रही नफरत की आग कैसे बुझाएं.
शहरी युवाओं को ना तो सोनिया गांधी बहुत पसंद हैं, ना राहुल गांधी, ना ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और ना ही यूपी की मुख्यमंत्री मायावती. लेकिन इन सबमें अगर युवाओं को कोई सबसे कम नापसंद है तो वो हैं मायावती. देश के नेताओं के रंग-ढंग बदलें ना बदलें, लेकिन देश के नौजवानों की सोच अब तेज़ी से बदलने लगी हैं. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी यूपी में मायावती के खिलाफ हुंकार भर रहे हैं, लेकिन इंडिया टुडे-साइनोवेट के सर्वे में शामिल युवाओं को राहुल की ललकार से ज़्यादा मायावती के तेवर पसंद आ रहे हैं. नापसंदीदा नेताओं की लिस्ट में जहां राहुल गांधी चौदहवें नंबर पर हैं, वहीं मायावती का नंबर उनके बाद आता है.
इस सर्वे में शामिल युवाओं को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का ग्राफ और गिरा है. इंडिया टुडे-साइनोवेट सर्वे में देश के पांच महानगरों के युवाओं ने सोनिया गांधी को अपनी नापसंदी की सूची में 11वें नंबर पर रखा है. खास बात ये है कि सोनिया की लिस्ट में सोनिया से एक कदम आगे हैं नरेंद्र मोदी, जो नापसंदगी की लिस्ट में 10वें नंबर पर हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो अपनी ठसक और मूर्तियों के लिए आलोचना का केंद्र बनने वाली मायावती की इमेज सोनिया, मोदी और राहुल तीनों से बेहतर है.
कोई भी ऐसा राजनीतिक दल नहीं है, जिसके नेता शहरी युवाओं को पसंद आ रहे हैं. लेफ्ट से लेकर लालू और करुणानिधि तक नापसंदों की सूची में शामिल हैं. और तो और, वो जयललिता भी महानगरों के युवाओं को नहीं सुहा रहीं, जिन्हें हाल ही में तमिलनाडु की जनता ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया.
वैसे युवाओं की राय बाकी नेताओं के लिए भी ठीक नहीं है. युवाओं की नजर में प्रकाश करात हैं विलेन नंबर सिक्स. सीपीएम महासचिव प्रकाश करात को मार्क्सवादी पार्टी का युवा चेहरा माना जाता है, लेकिन सर्वे में शामिल युवाओं ने करात को 10 में से 5.88 नंबर देकर नापसंदीदा नेताओं में छठा नंबर दिया. युवाओं की नज़र में एम करुणानिधि हैं राजनीति के विलेन नंबर सेवेन. 2-जी घोटाले के निशान करुणानिधि के घर के दरवाज़े तक दिख रहे हैं. करुणानिधि की राजनीति का रंग-ढंग चेन्नई के युवाओं को सबसे ज़्यादा नापसंद है, वहीं बाकी महानगरों के युवाओं ने करुणानिधि को 10 में से 5.83 नंबर देकर नापसंदीदा नेताओं की लिस्ट में सातवें नंबर पर रखा है. युवाओं की नज़र में जयललिता हैं राजनीति की विलेन नंबर 8. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता भी खुश नहीं हो सकतीं, क्योंकि नापसंदीदा नेताओं की लिस्ट में उनका नाम ठीक करुणानिधि के बाद आता है. जयललिता को युवाओं ने 10 में से 5.7 नंबर देकर नापसंदीदा नेताओं में आठवीं रैंक दी है. युवाओं की नज़र में गृह मंत्री पी चिदंबरम है राजनीति के विलेन नंबर 9. गृह मंत्री पी चिदंबरम के बारे में भी युवाओं की सोच बहुत अच्छी नहीं है.
इंडिया टुडे-साइनोवेट सर्वे में शामिल युवाओं ने चिदंबरम को नापसंदीदा नेताओं में नौवें नंबर पर रखा है और उन्हें नंबर दिए हैं 10 में से 5.69
. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हैं राजनीति के विलेन नंबर 10. नरेंद्र मोदी अपनी कट्टरपंथी छवि से बाहर आने के लिए छटपटा रहे हैं, लेकिन विकास पुरुष बनने की उनकी चाहत भी महानगरों के नौजवानों को लुभा नहीं रही. नरेंद्र मोदी 10 में से 5.66 नंबर के साथ नापसंदीदा नेताओं की लिस्ट में दसवें स्थान पर हैं. नापसंदगी की सूची में 11 वें नंबर पर सोनिया गांधी, 12वें नंबर पर पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी, 13वें नंबर पर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, 14वें नंबर पर राहुल गांधी और 15वें नंबर पर यूपी की मुख्यमंत्री मायावती आती हैं.
इंडिया टुडे-साइनोवेट का ये सर्वे इस बात का इशारा है कि अब युवाओं को पार्टियों के नारे नहीं लुभाते. उन्हें पसंद आता है नेताओं का काम, उनकी ईमानदारी और साफगोई.