प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि हाल के एक कार्यक्रम में सिंह राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान प्रेस और जनता पर ढ़ाए गए कहर से अपने आप को दूर करने का मौका चूक गए.
जागरण अखबार के संस्थापक पूर्ण चद्र गुप्त की जन्मशती पर इस सप्ताह एक कार्यक्रम में सिंह और आडवाणी दोनों ही मौजूद थे. गुप्त आपातकाल के खिलाफ खड़े हुए थे ओर ऐसा करते हुए जेल गए थे.
इस कार्यक्रम में गुप्त के जीवन पर एक पुस्तक का सिंह ने लोकार्पण किया जिसमें बताया है कि 1975 में कैसे उन्होंने (गुप्त ने) आपातकाल का उल्लंघन किया था.
आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, ‘मैं नहीं जानता कि प्रधानमंत्री के पास पुस्तक पर सरसरी निगाह डालने का अवसर था या नहीं, या फिर उन्हें किसी ने यह बताया था कि नहीं कि जागरण के संपादक गिरफ्तार कर लिए गए थे क्योंकि उन्होंने आपातकाल का विरोध किया था.’
आडवाणी ने लिखा, ‘यदि उन्हें इन बातों की जानकारी दी गयी होती और वह जागरण संस्थापक के इन संदर्भ को पेश करते तो उन्होंने लोकतंत्र की बड़ी सेवा की होती. लेकिन ऐसा नहीं कर वाकई में उन्होंने स्वतंत्र भारत के इतिहास में प्रेस की आजादी पर ढाए गए कहर से अपने को दूर करने का मौका गंवा दिया.’ सिंह ने इससे पहले संसद में 1984 के सिख विरोधी दंगे पर अफसोस जताया था. सन् 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे हुए थे.
आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले प्रमुख नेताओं में एक आडवाणी इस मुददे पर अक्सर कांग्रेस पर निशाना साधते रहे हैं और इस बात को प्रमुखता से उठाते रहे हैं कि कैसे प्रेस की आजादी का गला घोंटा गया.
भाजपा नेता की आलोचना ऐसे समय में हुई है जब मनमोहन सिंह ने जागरण के इस कार्यक्रम में कहा था कि भारतीय लोकतंत्र की वृद्धि के लिए प्रेस की आजादी बहुत जरूरी है.
प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘मेरे विचार से हमारे देश में इस बात पर आमसहमति है कि मीडिया पर कोई बाहरी नियंत्रण नहीं लगना चाहिए.’