आतंकी हमले के बाद शहीदों के परिवारों के प्रति हमदर्दी जताने वालों का तांता लगा रहा. मंत्रियों से लेकर नेताओं तक और कंपनियों से लेकर संस्थाओं तक, हर किसी ने भरपूर मदद का वादा किया लेकिन शहादत का हर्जाना देकर सरकारों ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया. वक्त के साथ परिवार से किए गए वादे भी फाइलों में दफन हो गए.