कुछ सालों के बाद सड़कों पर स्ट्रीट लाइट जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सड़कों के किनारे और डिवाइडर पर ऐसे पौधे और पेड़ लगाए जाएंगे, जो शाम होने के बाद खुद ही रोशनी देंगे. यानी खुद ही चमकने लगेंगे रोशनी में. ये संभव हैं लेकिन कुछ सालों का इंतजार करना पड़ेगा. लंदन के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में कुछ पौधे पैदा किए हैं जो चमकते हैं. (फोटोः Planta/MRC London Institute of Medical Sciences
)
2/7
इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, एमआरसी लंदन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और प्लांटा नाम की एक कंपनी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इन पौधों को तैयार किया है. (फोटोः Planta/MRC London Institute of Medical Sciences
)
3/7
प्लांटा की सीईओ और वैज्ञानिक डॉ. केरेन सरकिस्यां ने बताया कि हमने मशरूम के जीन्स से इन पौधों को तैयार किया है. अभी इनकी चमक और रोशनी थोड़ी कम है. फिलहाल इन पौधों का उपयोग घरों में नाइट लैंप के तौर पर किया जा सकता है. (फोटोः Planta/MRC London Institute of Medical Sciences
)
डॉ. केरेन सरकिस्यां ने बताया कि भविष्य में हम इन पौधों में और बदलाव करेंगे, ताकि कुछ सालों में ये तेज रोशनी पैदा करने लगें. ताकि इनका उपयोग सार्वजनिक जगहों पर हो सके. दिन में ये हवा साफ करेंगे और रात में रोशनी देंगे. वह भी प्राकृतिक स्रोतों से ऊर्जा लेकर. (फोटोःCassius Stevani at the San Paulo University in Brazil)
5/7
आपको बता दें कि दुनिया में कई जीव-जंतु, माइक्रोब्स, मशरूम्स, फंगस, जुगनू आदि हैं जो रोशनी से चमकते हैं. इनके शरीर में बायोल्यूमिनिसेंस नामक प्रक्रिया होती है. यह एक तरह के रसायन लूसीफेरिंस से होती है. जो इन जीवों के शरीर में मौजूद होता है. (फोटोः Planta/MRC London Institute of Medical Sciences
)
6/7
हालांकि, पौधों में यह रसायन कम मात्रा में पाई जाती है. इसलिए वैज्ञानिक मिलकर इसे पौधों में बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि, भविष्य में हमें खुद से रोशनी देने वाले पौधे मिले. बाद में ऐसे पौधे सड़कों के किनारे, पार्क में, घरों में, दफ्तरों में लगाए जाएंगे.
7/7
डॉ. केरेन सरकिस्यां ने बताया कि पौधों में लूसीफेरिंस इंजेक्ट करने या डीएनए में डालने में काफी ज्यादा खर्च आता है. अभी तक हम ऐसा पौधा नहीं बना पाए हैं जो खुद से इस रसायन को विकसित कर चमकता रहे. हालांकि, इसे लेकर प्रयास जारी है. (फोटोः Planta/MRC London Institute of Medical Sciences
)