तेज धूप, टपकता पसीना, लड़खड़ाते कदम, बैसाखी के दर्द को भूलते हुए पैदल ही अपने कानपुर के गांव के लिए निकल पड़े हैं. उन्हें उमीद है कि शायद वहां उनको दो वक्त की रोटी मिल सके. दिल्ली से सलीम 250 किलोमीटर का सफर बैशाखी के सहारे ही तय करके आए हैं और अभी इनको 250 किलोमीटर आगे और जाना है. दिव्यांग सलीम कि इस समय सुनने वाला कोई नहीं है. इनको सरकार से मदद की उम्मीद है.