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2019: बालाकोट से फानी तक जब मुश्किल में था देश, ISRO ने ऐसे की मदद

2019: बालाकोट से फानी तक जब मुश्किल में था देश, ISRO ने ऐसे की मदद
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साल 2019 में देश पर कई आपदाएं आईं. कुछ प्राकृतिक तो कुछ पड़ोसी देश की नापाक हरकतों की वजह से. चाहे वह बालाकोट रहा हो या चक्रवाती तूफान फानी. लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो (Indian Space Research Organization - ISRO) ने देश और लोगों के सामने आए हर मुसीबत को याद दिलाई नानी. आइए जानते हैं उन मौकों के बारे में जब ISRO ने देश को मुसीबतों से बाहर निकालने में मदद की...
2019: बालाकोट से फानी तक जब मुश्किल में था देश, ISRO ने ऐसे की मदद
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26 फरवरी - PAK के बालाकोट में एयरस्ट्राइक

पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिज्बुल-मुजाहिद्दीन के आतंकियों ने 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला किया. हमारे 46 जवान शहीद हुए. तब भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी 2019 को बालाकोट में स्थित हिज्बुल और जैश-ए-मोहम्मद के आंतकी ठिकानों पर हमला किया. इस हमले की तैयारी करने में ISRO के तीन उपग्रहों की मदद ली गई. ये उपग्रह हैं- रीसैट, कार्टोसैट और जीसैट. इन्हीं उपग्रहों से मिली तस्वीरों और लोकेशन के आधार पर ही भारतीय वायुसेना ने सटीक हमले किए.
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27 मार्च - जब भारत ने अंतरिक्ष में की सर्जिकल स्ट्राइक

दुनिया के कुछ विकसित देश अब पारंपरिक युद्ध के बजाय अंतरिक्ष से हमला करने की तैयारियों में जुटे हैं. पड़ोसी देश पाकिस्तान की नापाक हरकतों की वजह से भारत को इस बात की चिंता थी कि कहीं वह भी इस तरह के हमले न करे. इसलिए ISRO और DRDO ने मिलकर मिशन शक्ति किया. इसके तहत भारत ने एक एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया. तीन मिनट में भारत के बीएमडी मिसाइल ने अंतरिक्ष में घूम रहे बेकार हो चुके सैटेलाइट को मार गिराया.
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26 अप्रैल - तूफान फानी से बचाए लाखों लोग

बंगाल की खाड़ी से ओडिशा में पिछले 43 साल का सबसे भयावह चक्रवाती तूफान फानी आया. गति थी 193 किमी प्रति घंटा. हवा इतनी तेज थी कि बड़े पेड़ जड़ों से उखड़ गए. घरों के दरवाजे और खिड़कियां टूट गईं. लेकिन, ISRO के पांच उपग्रहों से हर 15 मिनट पर मिल रही जानकारी की वजह से 11.5 लाख से ज्यादा लोगों की जान बचाई गई. इसरो की चेतावनी से ओडिशा के 10,000 गांवों और 52 शहरी इलाकों में लोगों को सुरक्षित बचाया जा सका. ISRO की Insat-3D, Insat-3DR, Scatsat-1, Oceansat-2 और मेघा ट्रॉपिक्स उपग्रहों ने लगातार तूफान पर नजर रखी.
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10 जून - चक्रवाती तूफान वायु की दी जानकारी

गुजरात, महाराष्ट्र के तट से 10 जून से 17 जून के बीच चक्रवाती तूफान वायु टकराने वाला था. यह जानकारी इसरो के उपग्रहों ने पहले ही दे ही. नतीजा ये हुआ कि तूफान आने से पहले ही तटीय इलाकों से लोगों को हटा लिया गया. कोई नुकसान नहीं हुआ.
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पटना, मुंबई, असम में आई बाढ़ की सूचना

इस साल जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने में मॉनसूनी बारिश ने कहर बरपाया. मुंबई, पटना और असम में बाढ़ की वजह से करोड़ों लोगों का जीना मुहाल हो गया. लेकिन राहत कार्यों और बाढ़ की स्थिति जानने के लिए तीनों राज्यों की सरकारों और केंद्र सरकार ने ISRO के उपग्रहों से प्राप्त तस्वीरों की मदद ली. इन्हीं तस्वीरों की वजह से राहत एवं बचाव कार्यों को सही तरीके से किया गया.
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30 अक्टूबर - 'महा' तूफान से बचाई लाखों जिंदगियां

30 अक्टूबर से लेकर 7 नवंबर तक भारत के दक्षिणी तट से लेकर पश्चिम तट तक तेजी से बढ़ रहे 'महा' तूफान की जानकारी इसरो के उपग्रहों ने पहले ही दे दी थी. यह तूफान 185 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रहा था. इसरो से मिली पूर्व चेतावनी की वजह से केरल, गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों को खाली करा लिया गया था. इन उपग्रहों की वजह से लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकीं.
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6 नवंबर - जब 'बुलबुल' तूफान का बुलबुला फोड़ा

6 नवंबर से लेकर 11 नवंबर तक चक्रवाती तूफान बुलबुल ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा के इलाकों में कहर बरपाया. हवाएं 140 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलीं. लेकिन इसरो के उन उपग्रहों की मदद से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी जो मौसम का पूर्वानुमान देते हैं.
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