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कोरोना का कहर: 'घर में दाना नहीं, कमाने के लिए काम नहीं'

कोरोना का कहर: 'घर में दाना नहीं, कमाने के लिए काम नहीं'
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कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. चीन से फैले कोरोना वायरस ने भारत समेत समेत कई देशों में हाहाकार मचा रखा है. भारत में भी कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में भारत सरकार कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए एहतियातन सतर्कता बरत रही है जिसके लिए देश में कई जगह लॉक डाउन किया गया है.
कोरोना का कहर: 'घर में दाना नहीं, कमाने के लिए काम नहीं'
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कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है. भारत जैसे देशों में इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है. जिसके चलते दिहाड़ी पर काम करने वाले कई मजदूरों के लिए समस्या और बढ़ गई है. उनके पास न ही काम है, न ही पैसा. न ही उनके पास हर महीने तय वेतन जैसा कोई इंतजाम है.
कोरोना का कहर: 'घर में दाना नहीं, कमाने के लिए काम नहीं'
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50 साल के कमलजीत सिंह चंडीगढ़ में रिक्शा चलाने का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले कई दिनों से कोई सवारी इनके रिक्शे में नहीं बैठी है जिसकी वजह से ये पैसे नहीं कमा पाते है.लिहाजा घर में खाने का संकट आ गया है जिसकी वजह से घर में भी तनाव और अशांति का माहौल है.
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कोरोना का कहर: 'घर में दाना नहीं, कमाने के लिए काम नहीं'
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उन्होंने बताया कि घर में रोजमर्रा की चीजें और सब्जी, टमाटर प्याज सब खत्म हो चुका है. खाने के लिए कुछ नहीं बचा है. चिंता जताते हुए कमलजीत सिंह कहते है, 'आगे यह संकट कब तक चलेगा कुछ नहीं पता हालात भूखे रहने जैसे हो गए हैं. समझ नहीं आता क्या करें.'
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उनका बेटा मोहन नारियल का पानी बेचता है पिछले 10 दिन पहले नारियल का स्टॉक खरीदा था और अब जैसे ही लॉक डाउन की घोषणा हुई है और इससे पहले कोरोनावायरस की चर्चा चली तब से ही दुकानदारी बंद पड़ी है.
कोरोना का कहर: 'घर में दाना नहीं, कमाने के लिए काम नहीं'
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कमलजीत सिंह ने बताया कि मेरा बेटा लॉक डाउन में भी इस उम्मीद के साथ बाजार में बैठा है कि नारियल पानी बिकेगा तो घर में चूल्हा जलेगा. हमारे पास तो कोई चारा ही नहीं है. बस इंतजार कर रहे हैं कि कब सब ठीक होगा.
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