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चीन, बांग्लादेश से कम आए टूरिस्ट, भारतीयों ने टूरिज्म सेक्टर की कराई बंपर कमाई

एनआरआई और घरेलू यात्रियों ने भारत पर्यटन की गिरती प्रतिष्ठा को संभाला, लेकिन चीन और बांग्लादेश से आए नकारात्मक आंकड़े चुनौती बढ़ा रहे हैं. जानिए किस तरह देश के अपने ही यात्री भारतीय पर्यटन की रीढ़ बन गए हैं? पूरी कहानी पढ़ें.

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एनआरआई पर्यटक भारत की संस्कृति और पर्यटन को नए रंग दे रहे हैं (Photo: Pixabay)
एनआरआई पर्यटक भारत की संस्कृति और पर्यटन को नए रंग दे रहे हैं (Photo: Pixabay)

भारत का पर्यटन क्षेत्र कोविड महामारी के बाद धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है, लेकिन यह वापसी एक अप्रत्याशित हीरो के दम पर हो रही है. ये पर्यटक कोई साधारण सैलानी नहीं, बल्कि NRI हैं. भारत पर्यटन डेटा संग्रह 2025 के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भले ही विदेशी पर्यटकों का आगमन (FTA) महामारी-पूर्व के स्तर तक नहीं पहुंच पाया हो, लेकिन NRI टूरिस्टों की रिकॉर्ड तोड़ संख्या और देश के भीतर घरेलू यात्रा में आए जबरदस्त उछाल ने भारत के पर्यटन उद्योग को एक बड़ी आर्थिक और गिरावट से बचा लिया है.

एक तरफ जहां चीन और बांग्लादेश जैसे पारंपरिक बाजारों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में गंभीर गिरावट दर्ज की गई है, वहीं NRI अपने 'मातृभूमि प्रेम' के चलते बड़ी संख्या में लौट रहे हैं. इसी का परिणाम है कि विदेशी मुद्रा आय (FEE) के मोर्चे पर देश ने एक शानदार उछाल दर्ज किया है, जो प्रति पर्यटक खर्च बढ़ने का स्पष्ट संकेत है.

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विदेशी पर्यटक कम क्यों आ रहे हैं?

भारत में विदेशी पर्यटकों का आगमन (FTA) 2024 में मामूली 4.52% बढ़कर 9.95 मिलियन तक पहुंच गया, जो 2019 के 10.93 मिलियन के आंकड़े से अब भी काफी पीछे है. यह धीमी वृद्धि बताती है कि वैश्विक पर्यटन के मानचित्र पर भारत को अपनी पुरानी पहचान वापस पाने में अभी भी संघर्ष करना पड़ रहा है.

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पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति केवल भारत की नहीं है, बल्कि भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक आर्थिक चुनौतियां और वियतनाम या थाईलैंड जैसे अन्य उभरते पर्यटन स्थलों से कड़ी प्रतिस्पर्धा भी इसका एक बड़ा कारण है. भारत के पर्यटन को अभी भी बुनियादी ढांचे के सुधार, यात्रा नीतियों को आसान बनाने और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है ताकि विदेशी पर्यटक भारत को आत्मविश्वास से अपना गंतव्य चुनें.

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एनआरआई ही क्यों बन रहे 'मातृभूमि' की शक्ति?

यह वह क्षेत्र है जहां भारत ने एक बड़ी जीत दर्ज की है. दरअसल 2024 की रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला और सकारात्मक रुझान NRI (अनिवासी भारतीय)  आगमन में आया है. इनकी संख्या 2019 के 6.98 मिलियन से बढ़कर 10.62 मिलियन तक पहुंच गई है. NRI आगमन ने न केवल विदेशी पर्यटकों के आगमन की धीमी वृद्धि को संतुलित किया है, बल्कि कुल आगमन को एक मजबूत आधार भी दिया है.

प्रवासी भारतीय सामान्य विदेशी पर्यटकों के मुकाबले ज़्यादा समय तक भारत में ठहरते हैं. वे अक्सर लंबी छुट्टियों या पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में लौटते हैं. यही वजह है कि वो खर्च भी ज्यादा करते हैं. उनका खर्च केवल घूमने-फिरने तक सीमित नहीं होता, बल्कि परिवार से मुलाकात, खरीदारी, स्वास्थ्य सेवाओं और धार्मिक गतिविधियों पर भी होता है.

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इसका सीधा फायदा स्थानीय बाज़ार और अर्थव्यवस्था को मिलता है. ये रुझान साफ़ दिखाते हैं कि एनआरआई और उनकी मातृभूमि के बीच गहरा भावनात्मक और सांस्कृतिक रिश्ता कायम है. यही रिश्ता उन्हें भारत की पर्यटन अर्थव्यवस्था का मज़बूत स्तंभ बना देता है.

अगर NRI भारत के पर्यटन की रीढ़ हैं, तो घरेलू पर्यटक इसकी नींव हैं. अगस्त 2025 तक देश में 303.59 करोड़ घरेलू यात्राएं दर्ज हुईं. यह आंकड़ा किसी भी अंतरराष्ट्रीय आगमन को बहुत पीछे छोड़ देता है और साफ़ करता है कि भारत का पर्यटन अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है.

घरेलू पर्यटकों की यह विशाल संख्या न केवल पर्यटन स्थलों को जीवंत रखती है, बल्कि 'स्वदेश दर्शन' जैसे सरकारी कार्यक्रमों की सफलता को भी दर्शाती है. रामायण, बौद्ध, तटीय और जनजातीय सर्किट सहित विभिन्न थीम पर 110 परियोजनाएं विकसित की गई हैं. इसके अलावा, सतत और उत्तरदायी पर्यटन (SASCi) पहल के तहत ₹3295.76 करोड़ की लागत से 40 परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, जो दिखाता है कि सरकार अब स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन पर जोर दे रही है.

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चीन और बांग्लादेश ने दिया झटका बढ़ाया टेंशन

बाजारों से आई गिरावट ने चिंता बढ़ा दी है. भारत के दो बड़े पर्यटक स्रोत चीन और बांग्लादेश से आने वाले यात्रियों की संख्या 2024 में तेज़ी से घटी. आंकड़ो की मानें तो चीन से आने वाले पर्यटक 88.6% कम हो गए. 2019 में जहां बड़ी संख्या थी, वहीं 2024 में सिर्फ़ 38,960 पर्यटक आए. इसका कारण साफ़ है कि भू-राजनीतिक तनाव और यात्रा पर लगी पाबंदियां.

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दूसरा सबसे बड़ा कारण है बांग्लादेश. जो कभी भारत के लिए सबसे बड़ा पर्यटक स्रोत था, वहां से आने वाले यात्रियों की संख्या 2019 के 2.58 मिलियन से घटकर 2024 में 1.75 मिलियन रह गई.

इन दो बाज़ारों में आई गिरावट ने भारत के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है. ऐसे में अब ज़रूरत है कि भारत उभरते देशों पर ध्यान दे और अपनी पर्यटन रणनीति को बदलते समय के मुताबिक ढाले.

FTA में धीमी वृद्धि के बावजूद, भारत के पर्यटन उद्योग ने एक महत्वपूर्ण आर्थिक उपलब्धि हासिल की है. 2024 में, पर्यटन से देश की विदेशी मुद्रा आय (FEE) $35.016 बिलियन रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.78% की प्रभावशाली वृद्धि है.

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कमाई में उछाल का रहस्य

इस उछाल का रहस्य प्रति आगंतुक खर्च में वृद्धि है. यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि भारत अब खुद को उच्च-खर्च वाले पर्यटकों, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित बाजारों से आने वाले यात्रियों के लिए एक प्रीमियम गंतव्य के रूप में स्थापित कर रहा है. ये पर्यटक न केवल पारंपरिक अवकाश के लिए, बल्कि लग्जरी यात्रा, वेलनेस टूरिज्म (चिकित्सा उद्देश्यों के लिए 1,31,856 आगमन) और इको-टूरिज्म के लिए भी भारत को चुन रहे हैं.

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इसका अंदाज़ा ऐसे लगाया जा सकता है कि पर्यटन से हुई विदेशी मुद्रा आय $35.016 बिलियन रही, जो वैश्विक पर्यटन कमाई का करीब 2.02% है. यह साफ़ दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान लगातार मज़बूत और बढ़ता हुआ है.

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