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वर्ल्ड एड्स डे

वर्ल्ड एड्स डे

वर्ल्ड एड्स डे

हर वर्ष 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day) मनाया जाता है. इसका उद्देश्य एचआईवी/एड्स के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना, पूर्वाग्रहों को मिटाना और संक्रमित व्यक्तियों के प्रति समर्थन व सम्मान का संदेश देना है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि एचआईवी/एड्स अभी भी एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है, लेकिन जागरूकता, समय पर जांच और सही इलाज के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति आसानी से बीमारियों की चपेट में आ जाता है. जब शरीर की इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो जाती है और संक्रमण गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है, तब इसे एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम) कहा जाता है. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकता है यदि उसे समय पर इलाज और उचित देखभाल मिले.

एचआईवी मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई का उपयोग, संक्रमित रक्त चढ़ाने या संक्रमित मां से बच्चे तक प्रसव या स्तनपान के माध्यम से फैलता है. इन गलतफहमियों को दूर करना जरूरी है कि एचआईवी सामान्य स्पर्श, भोजन साझा करने, साथ बैठने या गले लगाने से नहीं फैलता. इसलिए संक्रमित व्यक्तियों के साथ भेदभाव और सामाजिक दूरी की बजाय हम सभी को उनके साथ सम्मान और संवेदनशीलता से पेश आना चाहिए.

इस दिन विभिन्न सरकारी, सामाजिक और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा जागरूकता अभियान, रक्त परीक्षण शिविर और एड्स रोकथाम से जुड़ी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. “शिक्षा ही सुरक्षा” इस अभियान का सबसे महत्वपूर्ण संदेश है- क्योंकि जानकारी, सुरक्षित व्यवहार और नियमित जांच ही एचआईवी/एड्स के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार हैं.

वर्ल्ड एड्स डे का मूल संदेश यही है कि प्रत्येक व्यक्ति सुरक्षित, जागरूक और संवेदनशील बने ताकि एक स्वस्थ और भेदभाव-रहित समाज का निर्माण हो सके.

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