स्विट्जरलैंड (Switzerland) में कई बैंक हैं जो देश के सदियों पुराने गोपनीयता कानूनों के तहत भारी मात्रा में धन जमा करने के लिए प्रसिद्ध हैं. ग्राहकों की पहचान की गोपनीयता बनाए रखने के लिए साल 1713 में जिनेवा (Geneva) में कानून को अंतीम रूप दिया गया. तब से, इस कानून के तहत स्विट्जरलैंड के सभी बैंक गोपनीयता की रक्षा कर रहा है (Swiss Bank laws protecting the identity of clients).
ग्राहकों की जानकारी विदेशों के साथ साझा करने पर 1934 में कानूनन अपराध बना दिया गया. स्विस बैंकिंग अधिनियम के अनुच्छेद 47 में के अनुसार ग्राहक की सहमति के बिना और आपराधिक शिकायत के अभाव में, सरकार सहित किसी को भी ग्राहक के विवरण का खुलासा करना अपराध माना गया. कानून का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति को पांच साल की जेल हो सकती है (Swiss Bank Laws).
देश दुनिया भर में कर-चोरी करने वाले लोगों और संस्थाओं के लिए यह एक सुरक्षित स्थान बना गया. लेकिन मई, 2014 में 50 से अधिक देशों ने आर्थिक सहयोग और विकास संगठन द्वारा तैयार एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें देश, पहली बार, अपने संबंधित करदाताओं की वित्तीय जानकारी के बारे में जानकारी के वैश्विक आदान-प्रदान पर सहमत हुए. स्विट्जरलैंड ने भी ग्राहक बैंक खातों के बारे में जानकारी साझा करने का वादा किया (Swiss Bank Tax Dodging).
लेकिन, साल 2022 की शुरुआत में, क्रेडिट सुइस डेटा के लीक होने से अल्पाइन देश के बैंकिंग कानूनों पर फिर से बहस शुरू हो गई. कथित लीक से पता चला कि बैंक के ग्राहक यातना, मादक पदार्थों की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) काले धन को वापस लाने का वादा करके 2014 में सत्ता में आए. 2018 से भारत और स्विट्जरलैंड में कर मामलों में सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था बनाई. इसके तहत सितंबर 2019 में पहली बार स्विस वित्तीय संस्थानों में खाते वाले सभी भारतीय निवासियों की विस्तृत वित्तीय जानकारी भारतीय अधिकारियों को प्रदान की गई थी (Black Money in India).
इस बीच, भारत ने एक काला धन कानून पारित किया है जो अपने करदाताओं को गुप्त विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों वाले नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है. अपील का आधार यह है कि भारतीय कानून को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जा सकता है और इसका उपयोग आपराधिक प्रतिबंध लगाने के लिए भी किया जा सकता है (Laws for Black Money in India).
स्विस नेशनल बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा रखा गया धन 13 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. तमाम नकारात्मक अर्थों के बावजूद, स्विस बैंक लोकप्रिय बने हुए हैं (Swiss Bank Indian Clients).
अगर बात करें सरकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए की तो ये सितंबर 2024 में लुढ़ककर 3.12% पर पहुंच गए हैं जबकि मार्च 2018 में ये 14.58% के ऊंचे स्तर पर थे.
अप्रैल के महीने में जब भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और उसे 6.5% पर ही रखा, तब बैंकों को लोगों के पास आकर्षक स्कीम के साथ पहुंचने का अवसर मिल गया.
2024 लोकसभा चुनाव में NDA का मुकाबला करने की रणनीति पर चर्चा के लिए मुंबई में दो दिन से 'INDIA' गठबंधन की बैठक जारी है. मुंबई के ग्रैंड हयात होटल में चल रही बैठक के दूसरे दिन नेताओं ने ग्रुप फोटो खिंचाकर एकजुटता का संदेश दिया. इसके अलावा कोऑर्डिनेशन कमेटी में शरद पवार, तेजस्वी यादव, संजय राउत समेत 13 नेताओं को शामिल किया गया है.