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कालीघाट काली मंदिर

कालीघाट काली मंदिर

कालीघाट काली मंदिर

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित कालीघाट काली मंदिर (Kalighat Kali Temple) भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है. गंगा की एक पुरानी धारा, जिसे अब “अदी गंगा” कहा जाता है, के किनारे बसे इस मंदिर का इतिहास और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा माना जाता है. माना जाता है कि यहां देवी सती के दाहिने पैर की उंगलियां गिरी थीं, जिसके कारण यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रतिष्ठित हुआ.

मंदिर में स्थापित मां काली का स्वरूप अत्यंत अनोखा है. यहां की मूर्ति अन्य काली प्रतिमाओं से अलग है. काले पत्थर से बनी इस प्रतिमा का लंबा बाहर निकला लाल जिह्वा, सोने की नाक की नथ और तीन बड़े नेत्र देवी के उग्र रूप को दर्शाते हैं. मूर्ति के निर्माण में नीम की लकड़ी और पत्थर का मिश्रण किया गया है, जो इसे खास बनाता है. प्रतिमा के आसपास चांदी और सोने की अलंकरणों का प्रयोग इसे दिव्य रूप प्रदान करता है.

कालीघाट मंदिर का इतिहास लगभग 350 वर्ष पुराना माना जाता है, हालांकि यह स्थान उससे भी पहले से उपासना का केंद्र रहा है. वर्तमान मंदिर संरचना का निर्माण 19वीं शताब्दी में करवाया गया था. यह स्थान न केवल बंगाल, बल्कि पूरे देश के भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय माना जाता है. विशेष रूप से कालरात्रि, दीपावली, नवरात्रि और काली पूजा के समय यहां भारी भीड़ उमड़ती है.

मंदिर परिसर के पास स्थित नखोदा तालाब, भक्त निवास, और प्रसाद गलियां भक्तों के लिए धार्मिक अनुभव को और भी समृद्ध बनाती हैं. यहां प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं. कलिघाट की गलियों में बंगाली संस्कृति, परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.


 

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