भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के रूप में 53वें मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए की है. CJI बीआर गवई ने प्रोटोकॉल के मुताबिक विधि मंत्रालय को अगले CJI के लिए सिफारिश भेजी है.
जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 तक के लिए CJI बनेंगे. उनका कार्यकाल करीब डेढ़ साल का होगा. जस्टिस सूर्यकांत को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था, जो CJI बीआर गवई के पदोन्नत होने का भी दिन था.
हालांकि जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत को एक ही दिन (24 मई 2019) को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था, वरिष्ठता सूची में जस्टिस गवई के सीनियर होने की वजह से जस्टिस सूर्यकांत ने उनके बाद शपथ ली थी. इसी कारण से CJI गवई ने जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के रूप में की है.
2019 में SC के जज बने थे जस्टिस सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था, CJI के तौर पर उनका कार्यकाल 1.2 साल से ज़्यादा होगा. वह 9 फरवरी 2027 को रिटायर होने वाले हैं. सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल है.
मेमोरेंडम ऑफ़ प्रोसीजर के मुताबिक, जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति, ट्रांसफर और प्रमोशन के बारे में बताता है, उसमें कहा गया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर उस जज को नियुक्त किया जाना चाहिए, जो सुप्रीम कोर्ट का सबसे सीनियर जज हो और इस पद के लिए फिट हो.
नियम के मुताबिक, केंद्रीय कानून मंत्री 'सही समय पर' अगले CJI की नियुक्ति के लिए मौजूदा CJI से सिफारिश मांगेंगे. परंपरा के मुताबिक, यह लेटर मौजूदा CJI के 65 साल की उम्र पूरी होने पर रिटायर होने से एक महीने पहले भेजा जाता है.
जस्टिस सूर्यकांत, का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मिडिल-क्लास परिवार में हुआ था. जस्टिस सूर्यकांत देश के सबसे बड़े न्यायिक पद पर अपने साथ दो दशकों का बेंच का अनुभव लेकर आए हैं, जिसमें आर्टिकल 370 को हटाने, बोलने की आज़ादी, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लैंगिक समानता पर ऐतिहासिक फैसले शामिल हैं.