एएस दुलत (Amarjit Singh Dulat) भारत के खुफिया तंत्र के एक प्रमुख और चर्चित नाम हैं. वह रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं, जो भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी है. उनका कार्यकाल और अनुभव भारतीय सुरक्षा प्रणाली, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के साथ संबंधों के संदर्भ में, अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है.
एएस दुलत भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के 1965 बैच के अधिकारी थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत राजस्थान कैडर से की, लेकिन बाद में उनका झुकाव खुफिया सेवाओं की ओर हुआ. उन्होंने भारतीय खुफिया ब्यूरो (IB) में लंबा समय बिताया, खासकर जम्मू-कश्मीर में. उनकी विशेषज्ञता कश्मीर मामलों में रही है, जहां उन्होंने जमीनी स्तर पर अलगाववाद और आतंकवाद से निपटने की रणनीतियां विकसित कीं.
दुलत 1999 में रॉ के प्रमुख बने और 2000 तक इस पद पर रहे. उन्होंने उस समय भारत-पाक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए 'ट्रैक टू डिप्लोमेसी' (Track II Diplomacy) को बढ़ावा दिया. वे उन कुछ भारतीय अधिकारियों में शामिल हैं जिन्होंने खुफिया एजेंसी के शीर्ष पर रहते हुए संवाद और सुलह की रणनीति अपनाने की खुलकर वकालत की.
रॉ से सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में सलाहकार नियुक्त किया गया. यहां उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और कश्मीर नीति के मामलों पर कार्य किया.
सेवानिवृत्ति के बाद एएस दुलत ने अपने अनुभवों को साझा करने के लिए कई किताबें लिखीं, जिनमें “Kashmir: The Vajpayee Years” और “Spy Chronicles: RAW, ISI and the Illusion of Peace” प्रमुख हैं. “Spy Chronicles” उन्होंने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख असद दु्र्रानी के साथ मिलकर लिखी थी, जो काफी विवादित रही.
उमर अब्दुल्ला ने यह नहीं बताया कि दुलत ने अपनी पिछली किताब में महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के बारे में क्या लिखा था. लेकिन यह स्पष्ट है कि उमर यहां एएस दुलत की 2015 में पब्लिश किताब Kashmir: The Vajpayee Years की बात कर रहे हैं.
पूर्व रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत ने अपनी नई किताब में दावा किया है कि फारूक अब्दुल्ला धारा 370 हटाने के पक्ष में थे. फारूक अब्दुल्ला ने इस दावे को खारिज किया है. पीडीपी और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को घेर रहे हैं. दुलत ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला आहत थे कि उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया और वे विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवा सकते थे. देखें रणभूमि.
रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत ने अपनी नई किताब में दावा किया है कि फारूक अब्दुल्ला धारा 370 हटाने पर केंद्र सरकार के साथ थे. अब्दुल्ला ने इस दावे को झूठा और सस्ता पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए खारिज कर दिया है. इस दावे के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में हलचल मच गई है और कई दल नेशनल कॉन्फ्रेंस को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. देखें...