ऑस्ट्रेलिया को महिला वर्ल्ड कप के सेमीफाइल मैच में धूल चटाने के बाद जेमिमा रॉड्रिग्स के आंखों में आंसू थे. ये आंसू खुशी के थे, विश्वास के थे और सपनों के हकीकत में बदलने के थे. 339 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर चेज करने जब भारतीय टीम उतरी तो फैन्स को कहीं न कहीं लग रहा था कि ऑस्ट्रेलिया सरीखी टीम के सामने शायद ये नामुमकिन है. लेकिन एक छोर पर खड़ी जेमिमा को ये मुमकिन लग रहा था. सामने वाले छोर से विकेट गिरते रहे. लेकिन जेमिमा का हौसला बढ़ता रहा.
जेमिमा ने शतक भी लगाया तो कोई खुशी जाहिर नहीं की. क्योंकि उन्हें पता था कि इस शतक से कहीं जरूरी है भारत की जीत. देश की जीत. जो उसे फाइनल में ले जाएगी. हुआ भी वही. जेमिमा अंत तक टिकी रहीं. उन्होंने धैर्य भी दिखाया और जोश भी. आखिरकार 127 रनों की नाबाद पारी खेलकर फाइनल का टिकट ले ही लिया.
जीत के बाद इमोशनल हुईं जेमिमा
मैच के दौरान भी जब कैमरा जेमिमा पर गया तो उन्हें कुछ बुदबुदाते सुना गया. वो ऊपर वाले से भारत की जीत की दुआ कर रहीं थीं. मैच के बाद जब स्टेडियम भारत और जेमिमा के शोर से गुंजायमान हुआ तो जेमिमा के आंखों से आंसू छलक गए.
जीत के बाद क्या बोलीं जेमिमा
जीत के बाद प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब लेते वक्त जेमिमा ने कहा, 'मैं यीशु का धन्यवाद करना चाहती हूं, क्योंकि मैं यह अपने दम पर नहीं कर सकती थी. मैं अपनी मां, पिता, कोच और उन सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहती हूं जिन्होंने इस पूरे समय मुझ पर भरोसा किया.' उन्होंने कहा कि मेरा बस एक ही लक्ष्य था. भारत को यह मैच जिताना, क्योंकि हम कई बार ऐसी परिस्थितियों में हार चुके थे.
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शतक पर क्या बोंली जेमिमा
जेमिमा ने कहा कि आज का दिन मेरे 50 या 100 रन के बारे में नहीं था. आज का दिन भारत को जिताने के बारे में था. मुझे पता है कि मुझे कुछ मौकों पर किस्मत ने साथ दिया, लेकिन मुझे लगता है कि भगवान ने सब कुछ सही समय पर दिया.
बाइबिल की लाइनें दोहरा रही थीं...
जेमिमा ने कहा कि शुरुआत में मैं बस फोकस बनाए रखने की कोशिश कर रही थी और खुद से बातें कर रही थी. लेकिन अंत में, मैं बाइबिल की एक पंक्ति दोहरा रही थी, क्योंकि मेरी ऊर्जा खत्म हो चुकी थी, मैं बहुत थक गई थी. वह पंक्ति थी, 'बस स्थिर रहो, भगवान तुम्हारे लिए लड़ेंगे.' मैं बस खड़ी रही. और उन्होंने मेरे लिए लड़ाई लड़ी.
बता दें कि अब भारतीय टीम का फाइनल में मुकाबला साउथ अफ्रीका के खिलाफ होना है. भारतीय महिला टीम अपने पहले खिताब की तलाश में है. इससे पहले वह 2005 और 2017 में फाइनल तक का सफर हासिल कर चुकी है. लेकिन ट्रॉफी नहीं जीत सकी.